बालिग अविवाहित बेटी CrPC की धारा 125 के तहत पिता से भरण-पोषण मांग सकती है: दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2025-12-09 03:55 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि बालिग अविवाहित बेटी CrPC की धारा 125 के तहत पिता से मेंटेनेंस मांगने के लिए मां के साथ जॉइंट एप्लीकेशन फाइल कर सकती है।

जस्टिस अमित महाजन ने कहा कि एक बालिग हिंदू बेटी हिंदू एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट, 1956 की धारा 20 के तहत अपने पिता से मेंटेनेंस पाने की हकदार है, जब तक वह अविवाहित है और अपनी कमाई और प्रॉपर्टी से अपना मेंटेनेंस नहीं कर सकती।

जज ने एक पिता की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। फैमिली कोर्ट ने अपने इस आदेश में बेटी और मां दोनों को हर महीने 45,000 रुपये अंतरिम मेंटेनेंस के तौर पर देने का आदेश दिया था। दोनों ने मिलकर CrPC की धारा 125 के तहत पिता से मेंटेनेंस मांगने के लिए आवेदन दायर किया था।

फैमिली कोर्ट ने कहा कि पत्नी तब तक भरण-पोषण की हकदार होगी, जब तक वह दूसरी शादी नहीं कर लेती या कोई अच्छी नौकरी नहीं कर लेती और बेटी तब तक भरण-पोषण की हकदार होगी, जब तक वह शादी नहीं कर लेती या कोई अच्छी नौकरी नहीं कर लेती।

फ़ैमिली कोर्ट ने कहा कि अर्ज़ी देते समय बेटी बालिग थी और उसे कोई मानसिक या शारीरिक परेशानी नहीं है, इसलिए वह CrPC की धारा 125 के तहत गुज़ारे का दावा नहीं कर सकती। हालांकि, उसने यह भी कहा कि हिंदू एडॉप्शन और मेंटेनेंस एक्ट, 1956 की धारा 20 के तहत वह उससे गुज़ारे का हकदार होगी।

पिता ने बालिग बेटी के गुज़ारे का हक होने पर कोई सवाल नहीं उठाया, उन्होंने कहा कि बालिग बेटी होने के नाते वह CrPC की धारा 125 के तहत अर्ज़ी नहीं दे सकती थी।

पिता को राहत देने से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि बालिग अविवाहित बेटी होने के नाते, वह HAMA Act की धारा 20 के तहत पिता से गुज़ारे का हकदार होगी और वह "ऐसी अर्ज़ी दे सकती थी" और मामले में दिए गए गुज़ारे के बराबर गुज़ारे का दावा कर सकती थी।

कोर्ट ने कहा,

“हालांकि इस मामले में रेस्पोंडेंट नंबर 2 की धारा 125 के तहत फाइल की गई एप्लीकेशन मेंटेनेबल नहीं होगी क्योंकि वह बालिग है, लेकिन याचिकाकर्ता के साथ कोई भेदभाव या अन्याय नहीं हुआ है या ऐसा नहीं कहा जा सकता, क्योंकि अगर उसने HAMA Act की धारा 20 के तहत सही पिटीशन फाइल की होती तो वह भी रेस्पोंडेंट नंबर 2 को मेंटेनेंस देने के लिए उतना ही मजबूर होता।”

जज ने आगे कहा कि इस तरह की टेक्निकैलिटी पर आवेदन खारिज करना और बेटी को HAMA Act के तहत एक नई याचिका दायर करने का निर्देश देना, जब फैमिली कोर्ट के पास पहले से ही कानून के तहत उसे मेंटेनेंस देने का अधिकार है, इससे बेवजह कई प्रोसिडिंग्स होंगी और यह कोर्ट के प्रोसेस का गलत इस्तेमाल होगा।

कोर्ट ने कहा,

“ऊपर बताई गई चर्चा को देखते हुए इस कोर्ट को विवादित ऑर्डर में दखल देने का कोई कारण नहीं दिखता। मौजूदा याचिका को ऊपर बताई गई शर्तों के साथ खारिज किया जाता है।”

Title: X v. Y

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