भारतीय सामान को 'Made in China' बताकर बेचना सार्वजनिक हित के खिलाफ: दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2025-09-13 13:36 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि स्थानीय रूप से बने सामान को उपभोक्ताओं के सामने 'Made in China' या किसी अन्य विदेशी देश का बताकर बेचना सार्वजनिक हित के खिलाफ है।

यह मामला कस्टम विभाग से जुड़ा था, जिसमें याचिकाकर्ता के सामान (मोबाइल टेम्पर्ड ग्लास) पर 'Made in China' का लेबल लगा होने के कारण विभाग ने छापेमारी करके माल जब्त कर लिया था।

विभाग ने सशर्त अंतरिम रिहाई की अनुमति दी थी, जिसके लिए ₹56,03,995/- का बॉन्ड और ₹29,75,189/- की बैंक गारंटी देने को कहा गया।

याचिकाकर्ता ने इस शर्त का विरोध किया और कहा कि सामान 100% स्थानीय है। न तो किसी विदेशी कंपनी को खरीद आदेश दिया गया और न ही किसी कस्टम एजेंट या ब्रोकर की सेवाएँ ली गईं।

कोर्ट के सवाल पर याचिकाकर्ता ने स्वीकार किया कि सामान आयातित नहीं है, बल्कि बेहतर दाम पाने के लिए उस पर 'Made in China', 'Made in USA' आदि के लेबल लगाए जाते हैं।

इस पर जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस शैल जैन की खंडपीठ ने कहा—

“यदि ये स्थानीय रूप से बने सामान हैं लेकिन उपभोक्ताओं को 'Made in China' या किसी अन्य विदेशी देश का बताकर बेचे जाते हैं, तो यह गलत घोषणा (misdeclaration) सार्वजनिक हित के खिलाफ है। खासतौर से तब, जब मौजूदा नीति के अनुसार 'Made in India' उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है और भारत में निर्मित सामान को कई प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं।”

आगे, कोर्ट ने कहा कि यह मामला तथ्यों की जांच का है और याचिकाकर्ता बिल/इनवॉइस पेश करने में विफल रहा है, इसलिए अदालत ने इसमें हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

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