करिश्मा कपूर के बच्चों ने पिता सुंजय कपूर की संपत्ति में हिस्से के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की
बॉलीवुड अभिनेत्री करिश्मा कपूर के बच्चों ने अपने दिवंगत पिता सुंजय कपूर की निजी संपत्तियों में हिस्सेदारी की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में मुकदमा दायर किया है।
सुंजय कपूर का निधन 12 जून को हुआ था।
यह मुकदमा समायरा कपूर और कियान राज कपूर ने अपने पिता की दूसरी पत्नी प्रिया कपूर, उनके बेटे, मां रानी कपूर और 21 मार्च 2025 की कथित वसीयत की कार्यकारी श्रद्धा सूरी मरवाह के खिलाफ दायर किया है। यह याचिका एडवोकेट शांतनु अग्रवाल और मनस अरोड़ा के माध्यम से दाखिल की गई है।
याचिका में कहा गया है कि तलाक के बाद भी उनके पिता उन्हें पूरा स्नेह और प्यार देते रहे और हाल की यात्राओं में पूरा परिवार, जिसमें करिश्मा कपूर और सुंजय की दूसरी पत्नी भी शामिल थीं, साथ मौजूद था।
याचिका के अनुसार, सुंजय कपूर के निधन के बाद उनकी दूसरी पत्नी ने खुद करिश्मा कपूर और बच्चों को बताया कि कोई वसीयत नहीं है और सारी संपत्ति आर. के. फैमिली ट्रस्ट में है। जुलाई में प्रिया कपूर और करिश्मा कपूर के बीच वकीलों के साथ बैठक तय हुई, लेकिन वहां भी वसीयत का कोई जिक्र नहीं हुआ।
टाज मानसिंह होटल में हुई बैठक में श्रद्धा सूरी मरवाह ने कथित तौर पर दूर से एक दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि यह कपूर की आखिरी वसीयत है और वह उसकी कार्यकारी हैं। बच्चों का कहना है कि दस्तावेज को जिस तरीके और गति से दिखाया गया, उससे उसकी शर्तों और प्रभाव को समझना असंभव था जब तक कि उसे ध्यान से पढ़ा और कानूनी रूप से जांचा न जाए।
याचिका में दावा किया गया है कि यह वसीयत मनगढ़ंत और फर्जी है और इसके गवाह सुंजय की दूसरी पत्नी के अधीन काम करने वाले लोग हैं, जिन्होंने निजी लाभ के लिए झूठा साक्ष्य दिया।
करिश्मा कपूर के बच्चों का कहना है कि कथित वसीयत वैध नहीं है और संदेहास्पद परिस्थितियों में बनाई गई है। इसलिए अदालत से प्रार्थना की गई है कि सुंजय की दूसरी पत्नी को इस वसीयत के आधार पर उनके उत्तराधिकार के अधिकार से वंचित करने से रोका जाए।
याचिका में यह भी मांग की गई है कि अदालत प्रारंभिक डिक्री पारित कर वादियों (बच्चों) को पिता की संपत्ति में 1/5वां हिस्सा दिया जाए।
इसके अलावा बच्चों ने यह भी प्रार्थना की है कि प्रतिवादियों को पिता की मृत्यु तक की संपत्तियों और खातों का पूरा ब्यौरा देने का आदेश दिया जाए और उन्हें किसी भी तरह बेचने, ट्रांसफर करने या तीसरे पक्ष के हित बनाने से रोका जाए।