घरेलू हिंसा में हत्या के इरादे से किए गए अपराधों को गंभीरता से देखा जाए, शादी राहत का कोई आधार नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2025-08-26 09:26 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा के वे मामले जिनमें हत्या का इरादा शामिल हो, उन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए। वैवाहिक संबंध ऐसे मामलों में कोई राहत देने वाला कारक नहीं माना जा सकता।

जस्टिस स्वर्ण कांत शर्मा ने टिप्पणी करते हुए कहा,

"घरेलू हिंसा के ऐसे अपराध, जिनमें हत्या का इरादा हो, गंभीर माने जाने चाहिए। वैवाहिक संबंध ऐसे मामलों में कम करने वाला नहीं बल्कि बढ़ाने वाला कारक माना जाएगा।"

अदालत आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। आरोपी पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 506 (धमकी), तथा आर्म्स एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज है।

FIR के अनुसार आरोपी ने अपनी पत्नी को जबरन ऑटो में बैठाया देशी कट्टा निकाला और उसके पेट में गोली मारकर फरार हो गया। पीड़िता को एक महीने तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा और चार सर्जरी करनी पड़ी।

अदालत ने आरोपी की इस दलील को खारिज कर दिया कि उसने गुस्से में और क्षणिक आवेश में पत्नी को गोली मारी थी, क्योंकि वह उसके साथ ससुराल नहीं जाना चाहती थी।

जस्टिस शर्मा ने कहा,

"सिर्फ पत्नी द्वारा हिंसक ससुराल में लौटने से इनकार करना अचानक उकसावे का कारण नहीं माना जा सकता। यह तर्क पुरुष प्रधान मानसिकता को बढ़ावा देता है, जिसमें महिला को अधीन मान लिया जाता है।"

हाईकोर्ट ने साफ किया कि पत्नी का यह अधिकार कि वह घरेलू हिंसा का शिकार न बने किसी भी तरह से पति द्वारा की गई हिंसा को उचित नहीं ठहरा सकता।

जमानत याचिका खारिज करते हुए अदालत ने निचली अदालत को छह महीने में सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया, क्योंकि आरोपी करीब छह साल से न्यायिक हिरासत में है।

केस टाइटल: सुषांत राज बनाम राज्य (एनसीटी ऑफ दिल्ली)

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