दिल्ली मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण के गैर-सरकारी सदस्यों के पदों को भरने के लिए शीघ्र कदम उठाएं: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश
दिल्ली हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह दिल्ली मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण के गैर-सरकारी सदस्यों के पदों को भरने के लिए शीघ्र कदम उठाए।
एक्टिंग चीफ जस्टिस विभु बाखरू और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि प्राधिकरण जब भी गठित होगा मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 की धारा 73 और 74 के अनुसार जिला मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्डों के गठन के लिए शीघ्र कदम उठाएगा।
अदालत ने कहा कि हम आगे निर्देश देते हैं कि दिल्ली मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण और समीक्षा बोर्डों के गठन की प्रक्रिया को दिल्ली राज्य विधानसभा के आगामी चुनावों के मद्देनजर आदर्श आचार संहिता लागू करने से बाधित नहीं किया जाएगा।
खंडपीठ ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के प्रभावी कार्यान्वयन की मांग करने वाली दो जनहित याचिकाओं का निपटारा किया। याचिकाकर्ता एडवोकेट अमित साहनी और श्रेयस सुखीजा थे।
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को यह छूट दी है कि अगर दिल्ली मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण उचित समय के भीतर निर्देशों का पालन करने में विफल रहता है तो वे याचिकाओं को फिर से शुरू कर सकते हैं।
कोर्ट ने एलजी द्वारा जारी अधिसूचना के अंत में दिए गए नोटेशन पर ध्यान दिया, जिसमें कहा गया कि SMHA के गैर-आधिकारिक सदस्यों का चयन कानून के अनुसार समय पर नियुक्त किए जाने पर किया जाएगा।
साहनी का कहना था कि मानसिक स्वास्थ्य अधिकारियों की कमी मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के उपचार पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है।
सुखीजा की जनहित याचिका में राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण के पुनर्गठन और नए कानून के तहत मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड की स्थापना की मांग की गई।
टाइटल: अमित साहनी बनाम दिल्ली सरकार एवं अन्य तथा अन्य संबंधित मामले