शालीमार बाग में अनधिकृत रेहड़ी-पटरी वालों को आपराधिक कार्रवाई की चेतावनी, हाईकोर्ट ने अधिकृत साप्ताहिक बाजार लगाने की अनुमति दी
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में नगर निगम दिल्ली (MCD) से कहा कि केवल इसलिए कि वह अनधिकृत रेहड़ी-पटरी वालों को नियंत्रित करने और सार्वजनिक मार्गों पर अतिक्रमण रोकने में असमर्थ है, यह कारण साप्ताहिक बाजार को बंद करने का आधार नहीं हो सकता, जिसे टाउन वेंडिंग कमेटी (TVC) द्वारा मंजूरी दी गई है।
जस्टिस नितिन वासुदेव सांबरे और जस्टिस अनीश दयाल की खंडपीठ ने कहा,
“सिर्फ इसलिए कि कुल 600 विक्रेताओं में से 300 विक्रेता अनधिकृत रूप से उस क्षेत्र में कारोबार कर रहे हैं, जिससे अव्यवस्था फैल सकती है, ऐसे में यह उत्तरदाताओं का दायित्व है कि वे वहां पर अनुमत विक्रेताओं की संख्या नियंत्रित करें और समय सीमा तय करे कुछ समस्याओं के होने मात्र से जिन्हें उत्तरदाता हल कर सकते हैं, उन्हें साप्ताहिक बाजार बंद करने का अधिकार नहीं मिल जाता।”
खंडपीठ सर्टिफिकेट ऑफ वेंडिंग (CoV) धारकों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें MCD को निर्देश देने की मांग की गई कि वे उन्हें शालीमार बाग क्षेत्र में साप्ताहिक बाजार लगाने से न रोकें। TVC ने इस बाजार के लिए लगभग 300 विक्रेताओं को मंजूरी दी थी।
MCD ने कहा कि उसने यह गतिविधि इसलिए बंद की, क्योंकि विक्रेताओं की संख्या अनुमत सीमा से अधिक हो गई। इससे सार्वजनिक सड़कों और सामान्य क्षेत्रों पर अतिक्रमण हुआ पैदल आवाजाही प्रभावित हुई, अनधिकृत ढांचे बनाए गए बाजार का समय तय सीमा से अधिक चला और स्थानीय निवासियों को परेशानी हुई।
कोर्ट का मानना था कि अगर विक्रेताओं की संख्या बढ़ती है तो MCD को उनके प्रवेश को नियंत्रित करना चाहिए।
कोर्ट ने आगे कहा,
“इसके अलावा जिन कारणों का उल्लेख किया गया, जैसे सार्वजनिक सड़कों और सामान्य क्षेत्रों पर अतिक्रमण, पैदल यात्री आवाजाही में बाधा और स्थायी शेड जैसी अनधिकृत संरचनाओं का निर्माण इन पर कार्रवाई करने का अधिकार उत्तरदाता प्राधिकरण के पास है। समय सीमा का पालन सुनिश्चित करना भी उनका दायित्व है।”
इसलिए कोर्ट ने MCD को आदेश दिया कि वह अधिकृत विक्रेताओं को साप्ताहिक बाजार लगाने की अनुमति दे। साथ ही स्पष्ट किया कि CoV की शर्तों का उल्लंघन करने पर विक्रेताओं के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई होगी।
केस टाइटल: सुरेंद्र कुमार शर्मा व अन्य बनाम नगर निगम दिल्ली व अन्य