टाउन वेंडिंग कमेटी के सदस्य 'COVID-19 के फ्रंट लाइन के योद्धा' नहीं: दिल्ली हाइकोर्ट
दिल्ली हाइकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि राष्ट्रीय राजधानी में टाउन वेंडिंग कमेटी (TVC) के सदस्य COVID-19 के अग्रिम पंक्ति के योद्धा नहीं हैं।
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने बेटे द्वारा दायर याचिका खारिज की। उक्त याचिका में उसने अपने पिता, जो TVC के सदस्य थे, उनकी मृत्यु के लिए 25 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की थी। उनकी मई, 2021 में COVID-19 के कारण मृत्यु हो गई थी।
बेटे ने दिल्ली सरकार को TVC सदस्यों को राष्ट्रीय राजधानी में फ्रंट लाइन कोविड-19 योद्धा घोषित करने का निर्देश देने की भी मांग की।
अदालत ने कहा,
"यह दिखाने के लिए किसी भी सामग्री के अभाव में कि याचिकाकर्ता के पिता को दिल्ली सरकार द्वारा कोविड-19 ड्यूटी के लिए तैनात किया गया था यह न्यायालय यह निर्देश देने के लिए इच्छुक नहीं है कि टाउन वेंडिंग कमेटी के सदस्यों को फ्रंट लाइन कोविड-19 योद्धा घोषित किया जाए या वे 25 लाख रुपये के मुआवजे के हकदार हैं।"
इसमें आगे कहा गया,
"रिट याचिका पूरी तरह से निराधार है। उपरोक्त के मद्देनजर रिट याचिका को लंबित आवेदन(ओं) के साथ, यदि कोई हो, खारिज किया जाता है।"
दिल्ली सरकार ने कहा कि मुआवजा देने का मुद्दा नीतिगत मामला है और मृतक की पत्नी को मुख्यमंत्री COVID-19 परिवार आर्थिक सहायता योजना के तहत विचार किया गया और उसे 50,000 रुपये का एकमुश्त भुगतान किया गया।
यह प्रस्तुत किया गया कि मृतक के परिवार के पक्ष में मुआवजे का कोई अन्य दावा नहीं किया गया।
याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि मृतक टाउन वेंडिंग कमेटी का हिस्सा था, लेकिन यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं है कि उसे दिल्ली सरकार द्वारा COVID-19 ड्यूटी के लिए तैनात किया गया था।
अदालत ने कहा,
"यह दिखाने के लिए किसी भी सामग्री के अभाव में कि याचिकाकर्ता के पिता को दिल्ली सरकार द्वारा COVID-19 ड्यूटी के लिए तैनात किया गया, याचिकाकर्ता प्रतिवादी/जीएनसीटीडी द्वारा कैबिनेट निर्णय नंबर 2835 दिनांक 13-05-2020 के तहत लिए गए निर्णय का लाभ पाने का हकदार नहीं है।”
इसमें कहा गया कि किसी योजना के तहत लाभ देने से संबंधित मामले पूरी तरह से नीतिगत निर्णय और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट न्यायालय नीति में हस्तक्षेप नहीं करते।
केस टाइटल- उमेश कुमार बनाम दिल्ली सरकार और अन्य