दिल्ली हाईकोर्ट ने द वायर की याचिका खारिज की, पूर्व JNU प्रोफेसर के मानहानि मामले में समन आदेश बरकरार
दिल्ली हाईकोर्ट ने मीडिया पोर्टल The Wire और इसके संपादक अजय आशीर्वाद महाप्रशस्त द्वारा दायर याचिका खारिज कीस जिसमें पूर्व जेएनयू प्रोफेसर अमिता सिंह द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में समन आदेश को चुनौती दी गई थी।
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने 13 जनवरी को ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी समन आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें कोई वैधानिक त्रुटि नहीं है।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि मजिस्ट्रेट द्वारा समन जारी करने से पहले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 223 का पालन नहीं किया गया। इस धारा के अनुसार, शिकायत पर संज्ञान लेते समय मजिस्ट्रेट को शिकायतकर्ता और गवाहों के बयान शपथ पर दर्ज कर लिखित रूप में हस्ताक्षर कराना जरूरी है। पहली टिप्पणी के अनुसार आरोपी को सुनवाई का अवसर दिए बिना कोई संज्ञान नहीं लिया जा सकता।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उन्हें समन जारी करने से पहले नोटिस दिया जाना चाहिए ताकि वे अपनी बात रख सकें। चूंकि जुलाई 1, 2024 तक उनके खिलाफ कोई मामला लंबित नहीं था, BNSS की प्रक्रिया लागू होनी चाहिए थी।
लेकिन हाईकोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला 2016 में दर्ज की गई मूल शिकायत से संबंधित है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई, 2024 को फिर से सुनवाई के लिए मजिस्ट्रेट को भेजा था। अतः इसे नई शिकायत नहीं माना जा सकता और CrPC की प्रक्रियाएं लागू होंगी, न कि BNSS की।
न्यायालय ने कहा,
"यह तर्क बेहद दुर्बल है कि अपील या पुनर्विचार मूल कार्यवाही से अलग होती है। 2016 की शिकायत अभी भी वैध है। उसी के तहत दस्तावेज़ लिए गए और समन आदेश जारी किया गया।"
कोर्ट ने कहा,
CrPC के तहत किसी नोटिस की आवश्यकता नहीं थी, इसलिए समन आदेश वैध है। याचिका में कोई दम नहीं है, इसलिए उसे खारिज किया जाता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस आदेश में मामले के मेरिट पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है और पक्षकार कानून के तहत अन्य उपायों के लिए स्वतंत्र हैं।
मामले की पृष्ठभूमि
सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई, 2024 में दिल्ली हाईकोर्ट के 2023 के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें 'The Wire' के खिलाफ समन आदेश रद्द किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फैसला दिया। इसके बाद मामला दोबारा मजिस्ट्रेट को भेजा गया ताकि वह नई सिरे से समन पर विचार कर सके।
यह मानहानि की शिकायत पूर्व जेएनयू प्रोफेसर अमिता सिंह ने 2016 में की थी। शिकायत में 'The Wire' के डिप्टी एडिटर अजय अशरफ द्वारा लिखे गए लेख का हवाला दिया गया था, जिसका शीर्षक था— “Dossier Calls JNU 'Den of Organised Sex Racket'; Students, Professors Allege Hate Campaign।"
प्रोफेसर सिंह ने आरोप लगाया कि इस लेख में यह दर्शाया गया कि उन्होंने डोजियर तैयार किया, जिसमें जेएनयू को सेक्स रैकेट का अड्डा बताया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना डोजियर की सच्चाई की जांच किए, उसे आर्थिक लाभ के लिए प्रकाशित किया गया, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची।
इसके अलावा, शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि आरोपियों ने उनके खिलाफ एक नफरत भरा अभियान चलाया।
केस टाइटल: Foundation for Independent Journalism बनाम अमिता सिंह और संबंधित याचिकाएं