राहुल गांधी की नागरिकता विवाद: दिल्ली हाईकोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष लंबित कार्यवाही की स्थिति मांगी
दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नागरिकता के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के लिए 09 अक्टूबर की तारीख तय की।
चीफ जस्टिस मनोनीत मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने केंद्र सरकार के वकील से इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष इस मुद्दे पर लंबित याचिका की प्रति प्राप्त करने को कहा।
अदालत ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि मामले में आगे बढ़ने से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित याचिका के बारे में स्थिति जानना न्याय के हित में होगा।
अदालत ने कहा,
"एक ही मुद्दे पर दो अदालतों का विचार करना उचित नहीं होगा।"
अदालत ने केंद्र सरकार के वकील से कहा,
"वहां (इलाहाबाद हाईकोर्ट) क्या हो रहा है, इसकी जांच करें। याचिका की कॉपी प्राप्त करें।"
आगे कहा,
"हम बस यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम किसी और के अधिकार क्षेत्र में प्रवेश न कर रहे हों।"
स्वामी अपने वकील एडवोकेट सत्य सभरवाल के साथ याचिकाकर्ता के रूप में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए।
पीठ कर्नाटक के BJP सदस्य विग्नेश शिशिर द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका का उल्लेख कर रही थी, जिसमें राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता की CBI जांच की मांग की गई।
कल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से शिशिर द्वारा नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 9(2) के तहत गांधी की नागरिकता रद्द करने की मांग करते हुए सक्षम प्राधिकारी को भेजे गए प्रतिनिधित्व-सह-शिकायत पर प्रस्तावित निर्णय के बारे में पूछा।
स्वामी ने राहुल गांधी के खिलाफ अपनी शिकायत पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की है।
अगस्त 2019 में स्वामी ने कांग्रेस नेता द्वारा ब्रिटिश सरकार को स्वेच्छा से खुलासा करके किए गए कथित उल्लंघनों पर केंद्र को पत्र लिखा था कि वह ब्रिटिश राष्ट्रीयता के नागरिक हैं, जो ब्रिटिश पासपोर्ट रखने के बराबर है।
स्वामी ने आरोप लगाया कि गांधी ने भारतीय नागरिक होने के नाते भारतीय संविधान के अनुच्छेद 9 का उल्लंघन किया, जिसे भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 के साथ पढ़ा जाता है। स्वामी ने दावा किया कि गांधी भारतीय नागरिक नहीं रह जाएँगे।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 9 में कहा गया कि कोई भी व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं होगा या उसे भारत का नागरिक नहीं माना जाएगा, यदि उसने स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त की है।
केंद्र सरकार द्वारा गांधी को 20 अप्रैल, 2019 को नागरिकता के संबंध में शिकायत विषय पर नोटिस भेजा गया था।
स्वामी ने लिखा कि बैकऑप्स लिमिटेड नामक कंपनी 2003 में यूनाइटेड किंगडम में पंजीकृत हुई थी, जिसमें गांधी निदेशक और सचिव थे। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि 2005 और 2006 में दायर कंपनी के वार्षिक रिटर्न में गांधी की जन्मतिथि 19 जून 1970 बताई गई और उनकी राष्ट्रीयता ब्रिटिश बताई गई।
स्वामी ने कहा कि केंद्र सरकार को उनकी शिकायत के बारे में अद्यतन जानकारी और स्थिति के बारे में कई बार बताने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
स्वामी ने अपनी याचिका में केंद्र को उनकी शिकायत या अभ्यावेदन पर जल्द से जल्द निर्णय लेने और उसका निष्कर्ष या अंतिम आदेश प्रस्तुत करने का निर्देश देने की मांग की।
मई 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिकता प्राप्त करने पर 'दोहरी नागरिकता के मुद्दे का निर्धारण होने तक 2019 के आम चुनाव लड़ने से रोकने की याचिका को खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,
“कुछ कागज कहते हैं कि उनके पास ब्रिटिश नागरिकता है, इसलिए वह ब्रिटिश नागरिक हो गए? सिर्फ़ इसलिए कि कंपनी उन्हें ब्रिटिश नागरिकता बताती है तो क्या वे ब्रिटिश नागरिक हो गए? इसका मतलब है कि उनके पास ब्रिटिश नागरिकता है?”
केस टाइटल- सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत संघ और अन्य