दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिग बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करने के मामले में दायर जनहित याचिका में Netflix पर बनी डॉक्यूमेंट्री 'टू किल ए टाइगर' की स्ट्रीमिंग रोकने से किया इनकार

Update: 2024-07-25 09:17 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को झारखंड के गांव में 13 वर्षीय नाबालिग पीड़िता के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना पर आधारित नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री 'टू किल ए टाइगर' की स्ट्रीमिंग रोकने से इनकार कर दिया।

यह डॉक्यूमेंट्री कनाडा में 2022 में रिलीज की गई थी। इसे भारत में 10 मार्च को रिलीज किया गया।

एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने नाबालिग की पहचान उजागर करने और उसे न छिपाने के मामले में फिल्म की स्ट्रीमिंग रोकने की मांग वाली जनहित याचिका पर इस स्तर पर कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार किया।

अदालत ने याचिका पर नोटिस जारी किया एनजीओ तुलिर चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा दायर याचिका में नेटफ्लिक्स और डॉक्यूमेंट्री की निर्देशक निशा पाहुजा के खिलाफ POCSO Act के प्रावधानों का कथित रूप से उल्लंघन करने के लिए कार्रवाई की मांग की गई।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने दलील दी कि जब फिल्म की शूटिंग की गई थी, तब पीड़िता नाबालिग थी और सहमति तभी ली गई, जब वह वयस्क हो गई।

उन्होंने कहा कि फिल्म की शूटिंग भारत में 3.5 साल की अवधि के लिए की गई थी और फिल्म निर्माता को पता था कि बलात्कार पीड़िता नाबालिग है लेकिन उसकी पहचान छिपाने या धुंधला करने का कोई प्रयास नहीं किया गया।

यह भी दलील दी गई कि POCSO Act किशोर न्याय अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (BNS) नाबालिग पीड़िता की पहचान उजागर करने पर रोक लगाता है।

वकील ने कहा कि नाबालिग के वयस्क होने के बाद प्राप्त सहमति एक तरह का स्टॉकहोम सिंड्रोम था, क्योंकि लड़की फिल्म निर्माता की मांगों को अस्वीकार नहीं कर सकती।

दूसरी ओर प्रतिवादी की ओर से पेश हुए वकील ने प्रस्तुत किया कि डॉक्यूमेंट्री फिल्माने के समय लड़की के माता-पिता की सहमति ली गई, क्योंकि वह उस समय नाबालिग थी।

उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा संदर्भित तीन कानूनों में एक सामान्य सूत्र यह है कि प्रकाशन पर प्रतिबन्ध केवल बच्चे के वयस्क होने की अवधि के दौरान है, उसके बाद नहीं।

उन्होंने कहा कि एक बार जब बच्चा वयस्क हो जाता है तो उसे अपने साथ हुई घटना के बारे में यदि वह चाहे तो बता सकती है और ऐसा करने की क्षमता रखती है।

पक्षों की सुनवाई के बाद अदालत ने जनहित याचिका में नोटिस जारी किया और कहा कि आज कोई अंतरिम आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है।

केस टाइटल- तुलिर चैरिटेबल ट्रस्ट बनाम भारत संघ और अन्य।

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