दिल्ली हाइकोर्ट ने अपने जजों से सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों और अपीलों को प्राथमिकता देने को कहा
दिल्ली हाइकोर्ट ने अपने जजों से सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों अपीलों या संशोधनों को प्राथमिकता देने को कहा है।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा,
“हम इस न्यायालय की रजिस्ट्री को निर्देश देते हैं कि वे इस आदेश को ऐसे मामलों को देखने वाले भाई और बहन जजों को प्रसारित करें, जिससे संसद और विधानसभाओं के सदस्यों के खिलाफ उनके समक्ष लंबित सभी आपराधिक मामलों/अपीलों/संशोधनों को प्राथमिकता दी जा सके, क्योंकि ऐसे मामलों के शीघ्र और प्रभावी निपटान के लिए यह आवश्यक है।"
पीठ को उसकी रजिस्ट्री द्वारा सूचित किया गया कि वर्तमान में सिंगल जज के समक्ष सांसदों और विधायकों से जुड़े 34 मामले या अपील या संशोधन लंबित हैं।
वर्तमान रोस्टर के अनुसार जस्टिस स्वर्ण कांता की अदालत सांसदों और विधायकों के मामलों से निपटने के लिए नामित विशेष अदालत है। रजिस्ट्री ने आगे बताया कि 34 मामलों में मुकदमे पर रोक के आदेश पारित किए गए हैं और छह महीने से अधिक की अवधि के लिए जारी हैं।
तदनुसार, अदालत ने रजिस्ट्री को ऐसे मामलों को ऐसे न्यायालयों या पीठों को पुनः आवंटित या पुनर्वितरित करने का निर्देश दिया, जिन्हें ऐसे मामलों के शीघ्र निपटान के लिए उपयुक्त और प्रभावी माना जाता है। इससे स्थगन आवेदनों का शीघ्र निपटान किया हो सकेगा और नामित विशेष अदालतों के समक्ष मुकदमा समाप्त हो सकेगा।
जिला न्यायालय के समक्ष लंबित मामलों के संबंध में पीठ ने संबंधित नामित विशेष अदालतों को सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया, जो मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडनीय हैं। अदालत ने विशेष अदालतों को इसके बाद पांच साल या उससे अधिक कारावास से दंडनीय मामलों को प्राथमिकता देने और फिर अन्य मामलों की सुनवाई करने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा,
"हम सभी न्यायाधीशों से अनुरोध करते हैं कि वे दुर्लभ और बाध्यकारी कारणों को छोड़कर विषयगत मामलों को स्थगित न करें। पीठ वर्ष 2020 में सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की त्वरित सुनवाई के संबंध में अपने द्वारा शुरू किए गए स्वप्रेरणा मामले की सुनवाई कर रही थी।”
अब इस मामले की सुनवाई 20 मई को होगी।
इससे पहले न्यायालय ने राउज एवेन्यू न्यायालय के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश को निर्देश दिया कि वे सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की लंबित संख्या को समान स्तर पर नामित न्यायालयों में लगभग बराबर सुनिश्चित करें।
साथ ही न्यायालय ने सीनियर वकील संदीप सेठी को एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया और उन्हें मामले में सहायता करने तथा आगे के उपाय सुझाने के लिए कहा, जिससे न केवल सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके, बल्कि “वर्तमान और पूर्व सांसदों/विधायकों के खिलाफ मामलों का शीघ्र निपटान सुनिश्चित करने के अपने उद्देश्य को भी प्राप्त किया जा सके।”
सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर, 2020 में अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ मामले में सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालयों को निर्देश दिया था।
केस टाइटल- न्यायालय अपने स्वयं के प्रस्ताव पर बनाम भारत संघ