दिल्ली हाईकोर्ट ने सत्येन्द्र जैन की डिफॉल्ट जमानत याचिका पर ED से जवाब मांगा
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी (AAP) नेता सत्येन्द्र जैन द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग मामले में डिफॉल्ट जमानत की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जवाब मांगा और मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को तय की।
जैन वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं। उन्होंने 15 मई को पारित ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें सीआरपीसी की धारा 167 (2) के तहत डिफ़ॉल्ट जमानत की मांग करने वाली उनकी अर्जी खारिज कर दी गई थी।
उक्त मामला 2022 का है, जब सत्येन्द्र जैन को ED ने गिरफ्तार किया था, 2010-12 और 2015-16 के दौरान चार कंपनियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के इर्द-गिर्द घूमता है।
जैन ने इस आधार पर डिफ़ॉल्ट जमानत मांगी कि ED वैधानिक अवधि के भीतर जांच पूरी करने में विफल रही, लेकिन उनके खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 44 और 45 के तहत शिकायत दर्ज की गई।
AAP नेता ने दलील दी कि जब जांच लंबित है तो PMLA मामले में अधूरा आरोप पत्र या शिकायत दाखिल करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आरोपी के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने पाया था कि सत्येन्द्र जैन, उनके सहयोगियों अंकुश जैन और वैभव जैन के साथ, मनी लॉन्ड्रिंग के कथित अपराधों के लिए प्रथम दृष्टया दोषी हैं।
यह तब हुआ जब सुप्रीम कोर्ट ने जमानत के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) की धारा 45 में निर्धारित जुड़वां शर्तों को पूरा करने में आरोपी की विफलता को उजागर करते हुए, सत्येन्द्र जैन को जमानत देने से इनकार किया।
पिछले साल अप्रैल में दिल्ली हाईकोर्ट ने जैन को नियमित जमानत देने से इनकार किया था।
केस टाइटल: सत्येन्द्र जैन बनाम ED