दिल्ली हाईकोर्ट ने सनातन धर्म रक्षा बोर्ड के गठन की मांग वाली याचिका पर विचार करने से किया इनकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को सनातन धर्म रक्षा बोर्ड के गठन की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार किया।
चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि यह मुद्दा नीतिगत दायरे में आता है। न्यायालय ऐसे बोर्ड के गठन के लिए निर्देश जारी नहीं कर सकता।
पीठ ने याचिकाकर्ता सनातन हिंदू सेवा संघ ट्रस्ट से इस मुद्दे पर सरकार से संपर्क करने को भी कहा है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि उसके पास जनहित याचिका में मांगी गई प्रार्थनाओं को स्वीकार करने का ज्ञान या क्षमता नहीं है।
याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार ने मुसलमानों के लिए एक बोर्ड यानी वक्फ बोर्ड और सिख प्रबंधक समिति बोर्ड बनाया लेकिन हिंदुओं के लिए ऐसा कोई बोर्ड मौजूद नहीं है।
याचिका में कहा गया,
"यह एक गंभीर स्थिति है जब सनातन/हिंदू धर्म के अलावा अन्य धर्मों से संबंधित समुदाय के लोग सनातन धर्म पर विभिन्न तरीकों से हमला कर रहे हैं जैसे कि सनातन धर्म से दूसरे धर्म में धर्म परिवर्तन करना जो सनातन धर्म के अनुयायियों की रीति-रिवाजों और इच्छाओं के खिलाफ है।"
इसमें आगे कहा गया कि क्योंकि हमारे देश में बहुत सारे मंदिर भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित और प्रबंधित हैं। इसके अंतर्गत वे मंदिर स्थित हैं और सरकार द्वारा उन मंदिरों से धन एकत्र किया गया।
इसके बावजूद हमारी सरकार भारत में बड़े पैमाने पर सरकारी निकाय का गठन करने की स्थिति में नहीं है। ये परिस्थितियाँ सरकार को हमारे देश में रहने वाले हिंदू धर्म की सुरक्षा के लिए एक निकाय बनाने का संकेत देती हैं, जिसे सरकार द्वारा नियंत्रित और प्रबंधित किया जाना चाहिए।
टाइटल: सनातन हिंदू सेवा संघ ट्रस्ट बनाम UOI