दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला को अश्लील मैसेज भेजने के आरोपी व्यक्ति के खिलाफ़ दर्ज FIR खारिज़ की, तीन महीने सामुदायिक सेवा करने को कहा
महिला के साथ समझौता करने के बाद, उसे अश्लील संदेश मैसेज के आरोपी व्यक्ति के खिलाफ़ दर्ज 2014 का मामला खारिज़ करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में उस व्यक्ति को अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए तीन महीने तक सामुदायिक सेवा करने का निर्देश दिया।
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने व्यक्ति को 9 सितंबर से 30 नवंबर तक वृद्धाश्रम, LNJP अस्पताल और अनाथालय में एक-एक महीने तक सामुदायिक सेवा करने का निर्देश दिया।
अदालत ने आरोपी को अपने इलाके में अपने खर्च पर 50 पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने का भी निर्देश दिया।
जस्टिस प्रसाद ने कहा कि आरोपी को यह समझना चाहिए कि वह अदालतों को हल्के में नहीं ले सकता। उसे यह नहीं लगना चाहिए कि वह पीड़ित के साथ समझौता करके अपराध से बच सकता है।
अदालत ने कहा,
“यह अदालत याचिकाकर्ता पर 25,000/- रुपये का जुर्माना लगाने के लिए इच्छुक है, जिससे याचिकाकर्ता भविष्य में इस तरह के अपराध न दोहराए। तदनुसार, याचिकाकर्ता को आज से चार सप्ताह के भीतर "सशस्त्र बल युद्ध हताहत कल्याण कोष" में 25,000/- रुपये की राशि जमा करने का निर्देश दिया जाता है।'
इसने भारतीय दंड संहिता की धारा 509 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67ए के तहत दंडनीय अपराध के लिए 2014 में उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दी।
मामला रद्द करने की याचिका आरोपी ने इस आधार पर दायर की कि अप्रैल में उसके और शिकायतकर्ता के बीच मामला सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया। महिला ने अदालत को सूचित किया कि उसने बिना किसी दबाव जबरदस्ती या अनुचित प्रभाव के अपनी मर्जी से उसके साथ अपने सभी विवादों को सुलझा लिया और वह इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहती।
उन्होने कहा,
पक्षों के बीच हुए समझौते को देखते हुए इस न्यायालय की राय है कि वर्तमान कार्यवाही को जारी रखने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
परिणामस्वरूप, न्यायालय ने कहा कि एफआईआर और उससे होने वाली कार्यवाही रद्द की जाती है। पक्ष समझौते की शर्तों और न्यायालय को दिए गए वचन से बंधे रहेंगे।
केस टाइटल- चिरागुद्दीन बनाम दिल्ली राज्य सरकार और अन्य।