दिल्ली हाईकोर्ट ने उदयपुर के ताज लेक पैलेस पर Deepfake वीडियो हटाने का आदेश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में उदयपुर के प्रसिद्ध होटल ताज लेक पैलेस के कर्मचारियों द्वारा मेहमानों को ज़हर देने का आरोप लगाते हुए एक कथित कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जनित Deepfake वीडियो को हटाने का आदेश दिया।
जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने कहा कि वीडियो की सामग्री प्रथम दृष्टया झूठी है और सीधे तौर पर होटल की प्रतिष्ठा का हनन करती है।
यह मुकदमा टाटा समूह की इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड द्वारा दायर किया गया, जो होटल ब्रांड ताज का संचालन करती है।
गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में हाईकोर्ट ने ताज को एक प्रसिद्ध ट्रेडमार्क घोषित किया था।
कंपनी ने तर्क दिया कि उदयपुर स्थित उसके ताज लेक पैलेस को 8 अक्टूबर 2025 को ग्लोबल मिशेलिन कीज़ सेलेक्शन में तीन मिशेलिन कीज़ से सम्मानित किया गया, जो दुनिया के सबसे उल्लेखनीय और अनोखे होटलों को दिया जाने वाला सम्मान है।
हालांकि, इसके तुरंत बाद पता चला कि जॉन डो प्रतिवादी ने अपने इंस्टाग्राम पेज 'ट्रैवेलागियो' पर "अपमानजनक और झूठा AI-जनरेटेड Deepfake वीडियो" प्रकाशित किया, जिसका शीर्षक था "कर्मचारियों ने 6 महीने तक अमीर मेहमानों को जहर दिया..."
इस वीडियो को 20,000 से ज़्यादा बार देखा गया, 134 लाइक्स, 300 से ज़्यादा शेयर, 7 बार रीपोस्ट और 12 टिप्पणियां मिलीं।
कंपनी ने राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर इसकी सूचना दी, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गईं।
तदनुसार, अदालत ने प्रतिवादी को विवादित वीडियो हटाने का निर्देश दिया। अदालत ने प्रतिवादी को किसी भी सोशल मीडिया पेज/वेबसाइट पर विवादित वीडियो या TAJ ट्रेडमार्क का अपमान करने वाली या उसका उल्लंघन करने वाली कोई अन्य सामग्री प्रसारित करने से भी रोक दिया।
मुख्य मुकदमा अगले साल 23 मार्च को सूचीबद्ध है।
Case title: The Indian Hotels Company Limited v. John Doe & Anr.