दिल्ली हाईकोर्ट ने स्थानीय भाषा में समझौते की सामग्री का अनुवाद करने में विफल रहने पर मध्यस्थता केंद्र के प्रभारी को तलब किया

Update: 2024-10-16 10:13 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में कड़कड़डूमा न्यायालय के मध्यस्थता केंद्र के प्रभारी को शिकायतकर्ता महिला को उसके द्वारा समझी जाने वाली स्थानीय भाषा में समझौता समझौते की सामग्री का अनुवाद करने में विफल रहने पर तलब किया।

जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने कहा कि यद्यपि अदालती कार्यवाही और दस्तावेज़ीकरण के लिए आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है लेकिन संबंधित प्राधिकारी का कर्तव्य है कि वह ऐसे दस्तावेजों की सामग्री का अनुवाद उस व्यक्ति के लिए करे जो उस भाषा से अच्छी तरह वाकिफ नहीं है।

अदालत ने कहा,

"संबंधित प्राधिकारी का यह कर्तव्य बनता है कि वे पक्षों के बीच समझौते पर पहुंचने से पहले संबंधित दस्तावेजों का उचित अनुवाद सुनिश्चित करें।"

अदालत वैवाहिक विवाद से उत्पन्न मामले को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर विचार कर रही थी जिसके बाद पक्षों के बीच समझौता हो गया था। पत्नी ने 2015 में पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 498ए, 406 और 34 के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी।

अदालत के सवाल पर शिकायतकर्ता महिला ने कहा कि उसे मध्यस्थता रिपोर्ट की सामग्री के बारे में पता नहीं था, क्योंकि यह अंग्रेजी में लिखी गई थी। किसी ने भी उसे स्थानीय भाषा में सामग्री का अनुवाद नहीं किया।

उन्होंने यह भी कहा कि दोनों पक्षों के बीच तलाक उन्हें बताए बिना हुआ और बिना पूरी जानकारी दिए उनके हस्ताक्षर लिए गए जिसके कारण पति के पक्ष में तलाक का फैसला सुनाया गया।

अदालत ने कहा,

"वैकल्पिक विवाद समाधान मंचों की स्थापना के पीछे उद्देश्य बिना किसी परेशानी के पक्षों के बीच त्वरित और सौहार्दपूर्ण समाधान सुनिश्चित करना है। हालांकि उक्त उद्देश्य इस देश के संविधान द्वारा नागरिकों को दिए गए अधिकारों को नकार नहीं सकता है।"

कोर्ट ने कहा कि यह मामला देश की अदालतों में व्याप्त खतरनाक स्थिति को दर्शाता है, जहां शिकायतकर्ता समझौते की सामग्री से अनजान है और फिर भी मध्यस्थता केंद्र उसी के साथ आगे बढ़ते हैं।

जस्टिस सिंह ने परामर्श केंद्र के प्रभारी को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जिसमें बताया गया कि शिकायतकर्ता को समझौते की विषय-वस्तु के बारे में समझाने के लिए आवश्यक कदम क्यों नहीं उठाए गए।

अब मामले की सुनवाई 05 नवंबर को होगी।

केस टाइटल: संतोष कुमार व अन्य बनाम राज्य के माध्यम से एसएचओ पीएस न्यू अशोक नगर व अन्य

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