दिल्ली हाइकोर्ट ने सीएम अरविंद केजरीवाल से संबंधित जनहित याचिका दायर करने वाले वकील पर लगाया गया 1 लाख रुपए का जुर्माना माफ किया, सामुदायिक सेवा करने को कहा

Update: 2024-05-27 08:49 GMT

दिल्ली हाइकोर्ट ने सोमवार को एक वकील पर लगाया गया 1 लाख का जुर्माना माफ कर दिया। उक्त वकील ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे और राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति शासन लागू करने के संबंध में मीडिया घरानों पर दबाव बनाने और सनसनीखेज सुर्खियाँ प्रसारित करने से रोकने के लिए जनहित याचिका दायर की थी।

एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता श्रीकांत प्रसाद को DSLSA के निर्देशों के अनुसार सामुदायिक सेवा करने का निर्देश दिया।

पेशे से वकील श्रीकांत प्रसाद द्वारा दायर जनहित याचिका में शराब नीति मामले में न्यायिक हिरासत में बंद केजरीवाल को जेल से सरकार चलाने की अनुमति मांगी गई। हाल ही में कोर्ट ने 1 लाख रुपए के जुर्माने के साथ याचिका खारिज कर दी।

प्रसाद ने आवेदन दायर कर इस आधार पर जुर्माना माफ करने की मांग की कि वह अपनी गलती स्वीकार करते हैं और जनहित याचिका कानून की नजर में गलत है।

उनके वकील ने कोर्ट को बताया कि प्रसाद के पास सुप्रीम कोर्ट समेत कई कोर्ट में नेकनीयत याचिकाएं दाखिल करने का रिकॉर्ड है।

उन्होंने आगे कहा कि अगर जुर्माना माफ कर दिया जाए तो प्रसाद सामुदायिक सेवा करने को तैयार हैं।

अदालत ने जुर्माना माफ करते हुए निर्देश दिया कि अगर प्रसाद किसी कोर्ट में कोई और याचिका दाखिल करते हैं तो उसके साथ जनहित याचिका [जिसे खारिज कर दिया गया] और आज के आदेश की कॉपी संलग्न की जाएगी।

जनहित याचिका में केजरीवाल के लिए वर्चुअल कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कैबिनेट मंत्रियों से बातचीत करने के लिए जरूरी व्यवस्था करने की मांग की गई है।

इसने भाजपा दिल्ली अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा को केजरीवाल के इस्तीफे के लिए अवैध साधनों से विरोध या बयानबाजी करके कोई अनुचित दबाव बनाने से रोकने और 10 अप्रैल को DDU मार्ग पर विरोध प्रदर्शन के लिए अवैध सभा इकट्ठा करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू करने की भी मांग की।

इसे खारिज करते हुए पीठ ने कहा था कि क्योंकि केजरीवाल ने पहले ही ED द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है और सुप्रीम कोर्ट अंतरिम रिहाई के मुद्दे पर विचार कर रहा है इसलिए उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कैबिनेट मंत्रियों के साथ बातचीत करने की अनुमति देने के लिए जनहित याचिका में कोई आदेश नहीं दिया गया है।

केस टाइटल- श्रीकांत प्रसाद बनाम दिल्ली सरकार और अन्य

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