दिल्ली हाईकोर्ट ने कर पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही के खिलाफ कांग्रेस पार्टी की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा आयकर अधिकारियों द्वारा तीन साल (204-15, 2015-16 और 2016-17) के लिए आयकर पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही शुरू करने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।
जस्टिस यशवंत वर्मा और जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव की खंडपीठ ने कर अधिकारियों की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी और एडवोकेट जोहेब हुसैन की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।
कोर्ट ने कहा कि कल या शुक्रवार तक आदेश सुना दिया जाएगा।
कांग्रेस की ओर से पेश सिंघवी ने कहा कि कर अधिकारियों की कार्रवाई 'सीमा के अनुसार वर्जित' है क्योंकि वे अधिकतम छह आकलन वर्ष तक वापस जा सकते थे।
कोर्ट के इस सवाल पर कि कांग्रेस द्वारा कथित तौर पर बच कर की गई आय क्या है, हुसैन ने जवाब दिया कि जब्त सामग्री के अनुसार, यह राशि लगभग 520 करोड़ रुपये है।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने भी चार अलग-अलग वर्षों के लिए उसके खिलाफ कर पुनर्मूल्यांकन की कार्यवाही शुरू करने को चुनौती देते हुए नई याचिकाएं दायर की हैं।
कार्यवाहक चीफ़ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष आज सुबह एडवोकेट प्रसन्ना एस ने इस मामले को सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई।
हाल ही में, कोर्ट ने आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) द्वारा 08 मार्च को पारित आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें आकलन वर्ष 2018-19 के लिए 100 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया कर की वसूली के लिए राजनीतिक दल को जारी डिमांड नोटिस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था।
हालांकि, इसने कांग्रेस को आईटीएटी के समक्ष स्थगन के लिए एक नया आवेदन दायर करने की स्वतंत्रता दी, जिसमें इस बीच हुए घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए बैंक ड्राफ्ट के नकदीकरण के अनुसरण में कर अधिकारियों द्वारा वसूल की गई 65.94 करोड़ रुपये की राशि भी शामिल है।
खंडपीठ ने कहा कि कांग्रेस का आवेदन यदि दायर किया जाता है तो आईटीएटी द्वारा उचित तेजी से विचार किया जा सकता है।