₹1.95 करोड़ GST विवाद में गैरहाजिर रहने पर महिला पर ₹1 लाख जुर्माना: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कस्टम विभाग को निर्देश दिया है कि वह एक 70 वर्षीय महिला को व्यक्तिगत सुनवाई (Personal Hearing) का एक और अवसर प्रदान करे, जो अपने फर्म के खिलाफ लगाए गए ₹1,95,11,160 की मांग पर उपस्थित नहीं हो सकी थी। यह महिला एलपीजी (घरेलू व वाणिज्यिक) की डीलरशिप चलाने वाली फर्म की एकमात्र स्वामित्व (sole proprietor) हैं, जिनका समझौता हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के साथ 10 वर्षों के लिए किया गया है।
मामला तब शुरू हुआ जब विभाग ने GST रिटर्न में पाई गई विसंगतियों के संबंध में नोटिस जारी किया और फर्म से ₹97,53,080 की कथित कर-अल्प भुगतान (short payment) पर 10 दिन में जवाब देने को कहा। विभाग ने 30 जुलाई 2024, 6 अगस्त 2024 और 13 अगस्त 2024 को व्यक्तिगत सुनवाई के नोटिस जारी किए, लेकिन न तो जवाब दाखिल किया गया और न ही सुनवाई में उपस्थिति दर्ज कराई गई। इसके बाद विभाग ने ₹97,53,080 का कर मांग, ₹5,000 का जुर्माना तथा ₹9,75,308 अतिरिक्त पेनल्टी लगाते हुए आदेश पारित कर दिया।
महिला ने इस मांग आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी और बताया कि वह एक वरिष्ठ नागरिक हैं तथा 2022 से गंभीर किडनी की बीमारी (“acute kidney condition”) से जूझ रही हैं, जिसके कारण वे न नोटिसों का जवाब दे सकीं, न ही सुनवाई में शामिल हो सकीं। उन्होंने आग्रह किया कि उनकी आयु और स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए उन्हें राहत प्रदान की जाए।
जस्टिस प्रभावा एम. सिंह और जस्टिस शैल जैन की खंडपीठ ने महिला की चिकित्सा स्थिति को देखते हुए माना कि मामला मेरिट पर सुना जाना चाहिए, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि विभाग का समय नष्ट हुआ है। इसलिए कोर्ट ने सुनवाई का अवसर देने को ₹1,00,000 की लागत (costs) जमा कराने की शर्त पर मंजूरी दी।