दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिगों को हुक्का और शराब परोसने के आरोपी क्लब मालिकों के खिलाफ आरोप बरकरार रखे

दिल्ली हाईकोर्ट ने दो व्यक्तियों के खिलाफ आरोप तय करने को बरकरार रखा है, जो दो क्लबों के मालिक और भागीदार हैं, जिन पर अपनी आय बढ़ाने के लिए नाबालिग बच्चों को हुक्का और शराब परोसने का आरोप है।
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि प्रथम दृष्टया, अपनी अवैध गतिविधियों को छिपाने के प्रयास में दोनों व्यक्तियों ने जानबूझकर सीसीटीवी रिकॉर्डिंग को मिटा दिया, जिससे दिल्ली पुलिस उनकी कथित अवैध गतिविधियों को उजागर न कर सके।
13 वर्षीय लापता लड़की की मां की शिकायत पर उनके खिलाफ आरोप तय किए गए। अभियोजन पक्ष के अनुसार नाबालिग को बार-बार क्लबों में हुक्का और शराब परोसी गई।
न्यायालय ने कहा,
"आरोप लगाने के चरण में न्यायालय को अभियोजन पक्ष द्वारा रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री के आधार पर मामले का केवल प्रथम दृष्टया दृष्टिकोण लेना होता है। हालांकि याचिकाकर्ताओं द्वारा निभाई गई सटीक भूमिका, कथित अपराध के कमीशन में उनकी संलिप्तता की सीमा और उनके बचाव को केवल मुकदमे के दौरान ही समझा जा सकता है।”
जस्टिस शर्मा ने IPC की धारा 201 और 34 (साक्ष्य नष्ट करने यानी सीसीटीवी फुटेज), धारा 19(1) के साथ POCSO Act की धारा 21 (अपराधों की रिपोर्ट न करने), JJ Act की धारा 77 (बच्चे को मादक शराब या मादक दवा या मनोदैहिक पदार्थ देने के लिए दंड), दिल्ली आबकारी अधिनियम की धारा 42 (नाबालिगों को काम पर रखने या उन्हें शराब बेचने के लिए दंड) और दिल्ली पुलिस अधिनियम की धारा 110 के साथ धारा 28 के तहत दोनों व्यक्तियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को बरकरार रखा।
न्यायालय ने क्लब मालिकों द्वारा पिछले साल उनके खिलाफ आरोप तय करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया। अपने बयान में लापता लड़की ने कहा कि वह अक्सर याचिकाकर्ताओं के स्वामित्व वाले क्लबों सहित विभिन्न क्लबों में जाती थी और विभिन्न फ्लैटों में रात भर रुकती थी। यह आरोप लगाया गया कि अन्य सह-आरोपी ने उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि अन्य नाबालिग पीड़ितों ने भी क्लबों में हुक्का और शराब का सेवन किया और पुलिस द्वारा अंततः उन्हें खोजे जाने तक विभिन्न स्थानों पर रहे।
याचिकाकर्ताओं के खिलाफ इस आधार पर आरोप तय किए गए कि वे क्लबों के मालिक हैं, उन्होंने अपने लाउंज के सीसीटीवी फुटेज को नष्ट करके सबूतों का निपटान किया। उन्होंने पीड़ित के लापता होने की सूचना देने में विफल रहे और अपने बार में अवैध हुक्का और शराब भी परोसी।
न्यायालय ने कहा,
"इसके मद्देनजर इस न्यायालय को एएसजे द्वारा पारित किए गए आदेश में कोई कमी नहीं दिखती। तदनुसार, इसे बरकरार रखा जाता है। वर्तमान पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज किया जाता है।”
केस टाइटल: नरेश कुमार जैन बनाम राज्य और अन्य संबंधित मामले