दिल्ली हाईकोर्ट ने सहकर्मी की पत्नी और नाबालिग भतीजी को परेशान करने के आरोपी तीन पुलिसकर्मियों को 'आसान' सजा देने से किया इनकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक ही परिवार के तीन दिल्ली पुलिस कर्मियों को एक सहकर्मी की पत्नी और 6 साल की भतीजी के साथ यौन अपराध करने के जुर्म में नरमी बरतने से इनकार किया।
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा,
"दोषी का आचरण जिद्दी था, वह अक्सर सड़क पर खड़ा होकर शिकायतकर्ता और उसकी भतीजी को देखकर अपने कपड़े उतार देता था। दिल्ली पुलिस में कार्यरत दोषी के इस कृत्य को न तो माफ किया जा सकता है और न ही नजरअंदाज किया जा सकता है। एक पुलिस अधिकारी होने के नाते वह कानून का पालन करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए बाध्य था। हालांकि, उसने न केवल शिकायतकर्ता के साथ बल्कि लगभग 6 साल की एक छोटी बच्ची के साथ भी यौन अपराध किया।"
इस प्रकार, अदालत ने दोषी जयदेव, जिसे अनिवार्य रिटायरमेंट दे दी गई थी, उसको भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 294 (अश्लील कृत्य), 354ए (यौन उत्पीड़न), 509 (महिला का अपमान) और POCSO Act की धारा 12 (बच्चों का यौन उत्पीड़न) के तहत दो साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई।
अदालत ने शिकायतकर्ता के प्रति स्पष्ट यौन टिप्पणी और अश्लील इशारे करने के लिए दिल्ली पुलिस में कार्यरत उसके भाई और बेटे को भी एक साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई।
अदालत ने कहा,
"इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि तीनों दोषी एक ही परिवार के हैं और घटना के दिन उन सभी ने मिलकर गलत आचरण किया और अपराध को अंजाम देते रहे। अपराध की गंभीरता इस वजह से और भी बढ़ जाती है कि वे दोनों दिल्ली पुलिस में हैं और पड़ोसी भी हैं।"
अदालत ने यह भी कहा कि दोषियों के खिलाफ वर्ष 2014 और 2015 में अन्य FIR भी दर्ज की गईं, जो दर्शाता है कि उनमें कोई सुधार नहीं हुआ है।
अदालत ने कहा,
"दोषी कोई और नहीं, बल्कि पुलिस अधिकारी हैं, जो समाज में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ज़िम्मेदार हैं। इसके अलावा, वे शिकायतकर्ता और पीड़ित बच्चे के पड़ोसी थे और उनके प्रति उनके अपमानजनक कृत्यों से पूरी तरह वाकिफ और सचेत थे। यह ऐसा मामला नहीं है जहाँ सजा सुनाते समय पुनर्स्थापनात्मक या पुनर्वासात्मक दृष्टिकोण उचित ठहराया जाएगा।"
Case title: GNCTD v. Jaidev & Ors.