व्यापार के लिए उपयोग की गई संपत्ति पर विवाद, आवासीय क्षेत्र में होने के बावजूद व्यावसायिक विवाद माना जाएगा: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि अगर कोई संपत्ति वास्तव में व्यापार या दुकान चलाने के लिए इस्तेमाल हो रही है, तो उस संपत्ति से जुड़ा विवाद कॉमर्शियल कोर्ट्स एक्ट, 2015 के तहत व्यावसायिक विवाद माना जाएगा—भले ही वह जगह नगरपालिका रिकॉर्ड में आवासीय क्षेत्र में आती हो।
मामले में TCNS क्लोदिंग कंपनी ने महिपालपुर में एक जगह रिटेल गारमेंट शो-रूम चलाने के लिए लीज पर ली थी। जगह को 2018 में नगर निगम ने अनधिकृत व्यावसायिक उपयोग बताकर सील कर दिया, जिसके बाद कंपनी ने लीज खत्म कर ₹7.6 लाख की सुरक्षा राशि वापस मांगी। रकम न मिलने पर कंपनी ने कॉमर्शियल सूट दायर किया।
जिला अदालत ने कहा कि जगह आवासीय है, इसलिए मामला व्यावसायिक विवाद नहीं है, और वादपत्र लौटा दिया। हाईकोर्ट ने इस आदेश को गलत बताते हुए कहा:
संपत्ति का वास्तविक उपयोग ही महत्वपूर्ण है।
यहाँ जगह को स्पष्ट रूप से शो-रूम चलाने के लिए इस्तेमाल किया गया।
नगरपालिका ज़ोनिंग उल्लंघन एक नियामक मामला है, इससे कॉमर्शियल कोर्ट की अधिकारिता प्रभावित नहीं होती।
अदालत ने TCNS की अपील स्वीकारते हुए कहा कि:
अगर कोई संपत्ति वास्तव में व्यापारिक काम के लिए उपयोग हो रही है, तो उसे कॉमर्शियल विवाद माना जाएगा, चाहे वह आवासीय इलाके में ही क्यों न हो।