दिल्ली हाईकोर्ट ने आतंकवाद के संदेह में जम्मू-कश्मीर में 'ब्रायर' मैसेजिंग ऐप को ब्लॉक करने के खिलाफ याचिका खारिज की
दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरे के कारण जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा ओपन-सोर्स मैसेजिंग एप्लिकेशन ब्रायर ब्लॉक करने के खिलाफ याचिका खारिज की।
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने ऐप विकसित करने वाली सबलाइम सॉफ्टवेयर लिमिटेड द्वारा केंद्र सरकार के ब्लॉकिंग आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की।
याचिका में केंद्र सरकार को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 (Information Technology Act, 2000) की धारा 69ए के तहत पारित ब्लॉकिंग आदेश को प्रस्तुत करने और प्रकाशित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई।
डेवलपर इकाई का मामला यह था कि ब्लॉकिंग नियमों में दी गई प्रक्रिया का पालन किए बिना ब्लॉकिंग आदेश पारित किया गया और ब्लॉकिंग के कारण वह पूरे देश में सॉफ्टवेयर तक पहुंचने में असमर्थ थी।
दूसरी ओर केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि IT Act की धारा 69ए के तहत जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में ब्रियार समेत 14 मोबाइल मैसेजिंग एप्लीकेशन को ब्लॉक किया गया, क्योंकि उनमें ऐसी सामग्री थी, जो भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए हानिकारक थी।
यह भी प्रस्तुत किया गया कि चूंकि याचिकाकर्ता इकाई का भारत में कोई प्रतिनिधि नहीं है। इसलिए उसे ब्लॉकिंग के बारे में सूचित नहीं किया जा सकता और ब्लॉकिंग आदेश को साझा नहीं किया जा सकता, क्योंकि प्राप्त सभी अनुरोधों और शिकायतों और ब्लॉकिंग के संबंध में की गई कार्रवाई के बारे में सख्त गोपनीयता बनाए रखी जानी चाहिए।
याचिका खारिज करते हुए अदालत ने इस तथ्य का न्यायिक संज्ञान लिया कि उच्चतम स्तर पर और देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लाभ के लिए लिए गए निर्णयों को गोपनीय रखा जा सकता है।
अदालत ने कहा,
"14 एप्लीकेशन/सॉफ्टवेयर के लिए ब्लॉकिंग आदेश पारित किए गए, जिसमें याचिकाकर्ता का सॉफ्टवेयर/एप्लिकेशन भी शामिल है, क्योंकि इसका इस्तेमाल आतंकवादियों और उनके समर्थकों द्वारा देश की सुरक्षा और संप्रभुता को भंग करने के लिए किया जा रहा था।"
इसमें यह भी कहा गया कि ब्रियार एप्लीकेशन को केवल जम्मू और कश्मीर राज्य में ही ब्लॉक किया गया और इसका उपयोग देश के अन्य सभी भागों में किया जा सकता।
न्यायालय ने कहा,
“उपर्युक्त के मद्देनजर यह न्यायालय वर्तमान रिट याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है। तदनुसार, रिट याचिका को लंबित आवेदनों के साथ खारिज किया जाता है, यदि कोई हो।”
केस टाइटल- सबलाइम सॉफ्टवेयर लिमिटेड बनाम भारत संघ