दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय खेल महासंघों को प्रतियोगिताओं में भाग लेने और खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के लिए धनराशि वितरित करने की अनुमति दी
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को भारतीय खिलाड़ियों की अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में भागीदारी, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं के आयोजन, एथलीटों के प्रशिक्षण और तैयारी के लिए राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) को धनराशि वितरित करने की अनुमति दे दी है।
पूर्व चीफ जस्टिस मनमोहन (अब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश) और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि अंतर्राष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं के आयोजन से न केवल देश को बल्कि भाग लेने वाले प्रत्येक खिलाड़ी और सामान्य रूप से खेलों को भी बहुत सम्मान मिलेगा।
कोर्ट ने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि 2036 में दुनिया के प्रतिष्ठित ओलंपिक और पैरालिंपिक खेलों के आयोजन की इस देश की आकांक्षाओं और ऐसे अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भाग लेने और दुनिया भर में पहचान हासिल करने की होड़ में लगे घरेलू खिलाड़ियों की आकांक्षाओं के बीच एक अच्छा संतुलन बनाना होगा।”
इसमें कहा गया है कि इस तरह के प्रयास के लिए खिलाड़ियों के चयन, प्रशिक्षण और खेल उपकरणों की खरीद पर खर्च आदि का जमीनी काम जल्द से जल्द शुरू करना होगा।
पीठ ने मौजूदा पांच सदस्यीय समिति में दो सदस्यों को जोड़ा जो एनएसएफ को धन के वितरण की देखरेख के लिए जिम्मेदार होंगे। दो सदस्य इंजेती श्रीनिवास और चार्टर्ड अकाउंटेंट श्री आशीष वधावन हैं।
न्यायालय ने कहा, "यह न्यायालय प्रतिवादी को इस न्यायालय के समक्ष तिमाही वित्तीय विवरण दाखिल करने का निर्देश देता है ताकि खातों और धन के वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।"
पीठ समिति के माध्यम से एनएसएफ को धन के वितरण की मांग करने वाले एक आवेदन पर विचार कर रही थी। जिसका गठन पिछले साल अप्रैल में दो साल या राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक के अधिनियमन के लिए किया गया था, जो भी पहले हो।
यह आवेदन वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा द्वारा 2020 में दायर एक लंबित याचिका में पेश किया गया था, जिसमें एनएसएफ द्वारा खेल संहिता और अदालतों द्वारा पारित आदेशों का अनुपालन करने की मांग की गई थी।
केस टाइटलः राहुल मेहरा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया