बच्चों के भीख मांगने की समस्या से निपटने के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर का प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करें: दिल्ली हाईकोर्ट ने अधिकारियों से कहा

Update: 2024-07-10 07:30 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि राष्ट्रीय राजधानी में बाल भीख मांगने की घटनाओं से निपटने के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 का ​​प्रचार-प्रसार किया जाए।

एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने अजय गौतम द्वारा दायर जनहित याचिका का निपटारा किया, जिसमें दिल्ली और उसके आसपास बाल भीख मांगने की समस्या और उससे जुड़ी समस्याओं को खत्म करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की गई।

दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने अदालत को स्टेटस रिपोर्ट और फ्लो चैट सौंपी, जिसमें चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर और उसमें दर्ज मामलों से निपटने की प्रक्रिया का विवरण दिया गया।

उन्होंने कहा कि फ्लो चार्ट के क्रियान्वयन से बच्चों की भीख मांगने की रिपोर्ट की गई घटनाओं पर समय पर और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित होगी।

अदालत ने स्टेटस रिपोर्ट और फ्लो चार्ट को रिकॉर्ड में लिया और दिल्ली सरकार को इसके लिए बाध्य माना।

याचिकाकर्ता के रूप में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए गौतम ने कहा कि हालांकि वह दिल्ली सरकार के प्रयासों की सराहना करते हैं लेकिन स्थिति की जमीनी हकीकत अलग है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में बाल भिक्षावृत्ति बहुत प्रचलित है। ऐसी घटनाएं हाईकोर्ट से 1 किमी के भीतर भी पाई जा सकती हैं।

PIL का निपटारा करते हुए पीठ ने अधिकारियों को अनुपालन हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले को 05 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

इससे पहले अदालत ने दिल्ली सरकार को विभिन्न सरकारी संस्थाओं और बाल पुनर्वास योजनाओं के प्रशासन के बीच समन्वय के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त करने का निर्देश दिया।

पिछले साल सितंबर में अदालत ने दिल्ली सरकार से कानून के साथ संघर्ष करने वाले बच्चों के पुनर्वास के लिए उठाए गए कदमों पर विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट मांगी, जिन्हें बाल भिक्षावृत्ति से बचाया गया और राष्ट्रीय राजधानी में विभिन्न पुनर्वास केंद्रों में रखा गया।

इसने दिल्ली सरकार को स्टेटस रिपोर्ट में ऐसे पुनर्वास केंद्रों के उनके संरक्षण में रह रहे बच्चों पर दीर्घकालिक प्रभाव का आकलन शामिल करने का भी निर्देश दिया।

खंडपीठ ने कहा कि बाल भीख मांगने की गंभीर सामाजिक समस्या के बने रहने के मद्देनजर विभिन्न पुनर्वास उपायों के प्रभाव की जांच करना महत्वपूर्ण है।

केस टाइटल- अजय गौतम बनाम डीसीपीसीआर एवं अन्य।

Tags:    

Similar News