Cash For Query Row: महुआ मोइत्रा ने CBI चार्जशीट के लिए लोकपाल की मंज़ूरी के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया

Update: 2025-11-17 15:11 GMT

तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता महुआ मोइत्रा ने पूछताछ के लिए पैसे के विवाद में CBI को उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने की मंज़ूरी देने वाले भारत के लोकपाल के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी।

इस मामले की सुनवाई मंगलवार को जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ करेगी।

महुआ ने 12 नवंबर को पारित आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि यह आदेश त्रुटिपूर्ण है, लोकपाल अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करता है और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का घोर उल्लंघन है।

उनका कहना है कि उनसे दलीलें और दस्तावेज़ मांगे गए लेकिन लोकपाल अधिनियम की धारा 20(7)(ए) के तहत मंज़ूरी देने का आदेश जारी करने से पहले उन्हें पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया गया।

याचिका में कहा गया कि मंजूरी आदेश लोकपाल की भूमिका को केवल "जांच रिपोर्ट पर मुहर लगाने" तक सीमित कर देता है और मोइत्रा द्वारा प्रस्तुत किसी भी बचाव पर विचार किए बिना और आरोपपत्र दाखिल करने की मंजूरी प्रदान करता है।

याचिका में कहा गया,

"माननीय लोकपाल को न केवल माननीय लोकपाल अधिनियम की धारा 20(7)(ए) के तहत क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देने का अधिकार है, बल्कि उनका यह कर्तव्य भी है कि वे इस स्तर पर ही आरपीएस के बचाव पर निष्पक्ष रूप से विचार करें ताकि इस बारे में एक निष्पक्ष और तर्कसंगत निर्णय लिया जा सके कि मामले में चार्जशीट दाखिल करना आवश्यक है या क्लोजर रिपोर्ट।"

इसमें आगे कहा गया कि लोकपाल ने मोइत्रा के तर्कों और बचाव पर विचार किए बिना ही क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने का रास्ता बंद कर दिया। इसके बजाय उनके प्रति पूर्वाग्रह के कारण आरोपपत्र दाखिल करने की मंजूरी दी।

इस बीच मोइत्रा ने मंजूरी आदेश पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने CBI को आरोपित स्वीकृति आदेश को आगे बढ़ाने के लिए कोई भी कदम उठाने से रोकने की भी मांग की है, जिसमें आरोपपत्र दाखिल करना भी शामिल है, लेकिन यह यहीं तक सीमित नहीं है।

मोइत्रा पर व्यवसायी और मित्र दर्शन हीरानंदानी की ओर से प्रश्न पूछने के बदले नकद प्राप्त करने का आरोप लगाया गया।

द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने इस तथ्य को स्वीकार किया कि उन्होंने हीरानंदानी को अपने संसद लॉगिन और पासवर्ड की जानकारी दी थी। हालांकि, उन्होंने उनसे कोई नकद प्राप्त करने के दावे का खंडन किया।

यह विवाद तब उत्पन्न हुआ, जब दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को एक शिकायत लिखी, जिसमें आरोप लगाया गया कि मोइत्रा ने संसद में प्रश्न पूछने के लिए कथित तौर पर रिश्वत ली। दुबे ने दावा किया कि उक्त आरोपों की उत्पत्ति देहाद्राय द्वारा उन्हें लिखे गए एक पत्र से हुई।

इसके बाद मोइत्रा ने दुबे, देहाद्राय और मीडिया हाउस को एक कानूनी नोटिस भेजा, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों का खंडन किया।

Tile: MAHUA MOITRA v. LOKPAL OF INDIA & ORS

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