CCI के 'ग्लोबल टर्नओवर' पेनल्टी नियम के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंची Apple कंपनी, $38 बिलियन की पेनल्टी का किया दावा
Apple INC ने कॉम्पिटिशन एक्ट, 2002 में हुए अमेंडमेंट को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में अपील दायर की, जिससे कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ़ इंडिया (CCI) को किसी कंपनी के ग्लोबल टर्नओवर के आधार पर पेनल्टी लगाने की इजाज़त मिल गई।
चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की डिवीजन बेंच 03 दिसंबर को इस मामले की सुनवाई करेगी।
Apple ने कॉम्पिटिशन एक्ट की धारा 27(b) में 2023 के अमेंडमेंट और 2024 की मॉनेटरी पेनल्टी गाइडलाइंस को चुनौती दी।
यह प्रोविज़न CCI को पिछले तीन फाइनेंशियल ईयर के एवरेज टर्नओवर के 10% तक का फाइन उन कंपनियों पर लगाने का अधिकार देता है, जो दबदबे का गलत इस्तेमाल करने या एंटी-कॉम्पिटिटिव व्यवहार करने की दोषी पाई जाती हैं।
अपनी याचिका में Apple ने कहा कि उस पर $38 बिलियन तक का फाइन लग सकता है। याचिका में कहा गया कि Apple पर तीन फाइनेंशियल ईयर से 2024 तक दुनिया भर में अपनी सभी सर्विसेज़ से होने वाले एवरेज ग्लोबल टर्नओवर के 10% की दर से ज़्यादा से ज़्यादा पेनल्टी लग सकती है, जो लगभग $38 बिलियन हो सकती है।
इसमें कहा गया कि ग्लोबल टर्नओवर के आधार पर ऐसी पेनल्टी लगाना साफ़ तौर पर मनमाना, गैर-संवैधानिक, बहुत ज़्यादा बेहिसाब और गलत होगा।
यह कहा गया कि CCI को सिर्फ़ उस खास यूनिट के इंडियन रेवेन्यू के आधार पर पेनल्टी लगानी चाहिए, जो कॉम्पिटिशन कमीशन एक्ट का उल्लंघन करती है।
याचिका में कहा गया,
“स्टेशनरी बिज़नेस के कुल 20,000 रुपये के टर्नओवर पर पेनल्टी लगाना मनमाना और बेहिसाब होगा, जबकि उल्लंघन सिर्फ़ 100 रुपये कमाने वाले खिलौने के बिज़नेस के संबंध में है।”