वकील ने मुवक्किल द्वारा कथित तौर पर अपने नाम पर छोड़ी गई विवादित संपत्ति पर किया दावा, याचिका खारिज

Update: 2025-08-19 08:02 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने वकील द्वारा दायर अपील खारिज की, जिसमें उन्होंने अपने मुवक्किल द्वारा कथित तौर पर अपने नाम पर छोड़ी गई विवादित संपत्ति पर दावा किया था।

जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा,

“न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों को न्यायालय का अधिकारी माना जाता है, जिनसे अपेक्षा की जाती है कि वे न्याय के कार्य को आगे बढ़ाने में न्यायालयों की मदद करें। साथ ही गरीबों, दलितों और वंचितों के लिए न्याय सुनिश्चित करें। प्रैक्टिस करने वाले वकीलों के कंधों पर संस्था की गरिमा और प्रतिष्ठा बनाए रखने की बड़ी ज़िम्मेदारी होती है। उनसे अपने मुवक्किलों द्वारा छोड़ी गई संपत्ति पर दावा करने की अपेक्षा नहीं की जाती।”

संक्षेप में मामला

सरबजीत सिंह नामक व्यक्ति ने मुकदमा दायर कर दावा किया कि सुरेंद्र मोहन तरुण (अब दिवंगत) ने उन्हें विवादित संपत्ति बेच दी लेकिन बाद में उन्हें अवैध रूप से बेदखल कर दिया।

मृतक-प्रतिवादी का प्रतिनिधित्व अपीलकर्ता-वकील ने किया। उन्होंने दावा किया कि उसने संपत्ति नहीं बेची और वह उसका मालिक है।

प्रतिवादी की मृत्यु के बाद वादी ने पाया कि वाद परिसर में प्रतिवादी के वकील सूरज सक्सेना (यहां अपीलकर्ता) की नेमप्लेट लगी हुई है, इसलिए उसने एक रिसीवर की नियुक्ति की मांग की।

रिसीवर की नियुक्ति से व्यथित होकर वकील ने यह दावा करते हुए वर्तमान याचिका दायर की कि प्रतिवादी ने पंजीकृत वसीयत के माध्यम से अचल संपत्ति उसके पक्ष में वसीयत कर दी।

हाईकोर्ट ने शुरू में ही यह नोट किया कि वादी द्वारा प्रस्तुत मूल दस्तावेजों की फोरेंसिक जांच की गई और वे असली पाए गए। इसके अलावा मृतक के कानूनी उत्तराधिकारियों ने भी संपत्ति पर दावा किया।

न्यायालय ने यह माना कि दीवानी न्यायालय ने रिसीवर नियुक्त करके न्याय की पूर्ति की, क्योंकि अपीलकर्ता, पुनरावृत्ति की कीमत पर यह दावा करता है कि उसके मुवक्किल (प्रतिवादी) ने उसके पक्ष में वसीयत की थी।

न्यायालय ने वकील की याचिका खारिज कर दी।

केस टाइटल: सूरज सक्सेना बनाम सरबजीत सिंह

Tags:    

Similar News