दिल्ली हाइकोर्ट ने आजम खान के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने वाले आईएएस अधिकारी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

Update: 2024-04-26 09:33 GMT

दिल्ली हाइकोर्ट ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के आईएएस अधिकारी अंजनेय कुमार सिंह की कथित अवैध प्रतिनियुक्ति और उसके बाद उनके सेवा विस्तार को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज की।

सिंह समाजवादी पार्टी (SP) के नेता आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला खान के खिलाफ 60 से अधिक एफआईआर दर्ज करने के लिए चर्चा में आए थे।

एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की अगुवाई वाली खंडपीठ ने कहा कि सेवा मामलों में जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। केवल गैर-नियुक्त व्यक्ति ही सफल उम्मीदवार/अधिकारी की नियुक्ति या सेवा विस्तार की वैधता पर सवाल उठा सकते हैं।

विजय कुमार नामक व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका में सिंह की वर्ष 2015 में प्रतिनियुक्ति तथा उसके बाद के विस्तारों के विरुद्ध उनके अभ्यावेदन पर विचार करने की मांग की गई, जो कथित रूप से भारतीय प्रशासनिक सेवा संवर्ग नियम, 1954 के नियम 6 (2) (ii) के विपरीत है।

विशेष रूप से कुमार ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग केंद्रीय सतर्कता आयोग तथा उत्तर प्रदेश और सिक्किम की सरकारों के साथ-साथ संघ लोक सेवा आयोग, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और गृह मंत्रालय सहित विभिन्न सरकारी निकायों को पत्र लिखा था।

नियम 6 (2) (ii) में उल्लिखित शर्तों का हवाला देते हुए कुमार की याचिका में रेखांकित किया गया,

"किसी भी मामले में उपलब्ध मानदंडों के अनुसार प्रतिनियुक्ति अवधि कभी भी 8 वर्ष और 6 महीने नहीं होनी चाहिए, जो कि उपर्युक्त नामित आंजनेय कुमार सिंह आईएएस सिक्किम 2005 को उपलब्ध कराई गई, जो नीतियों से परे है।"

याचिका में किसी भी तरह की हेराफेरी या गलत व्यवहार को उजागर करने के लिए खासकर उच्च पदस्थ पदों और आईएएस कैडर में जांच और सतर्कता की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

केस टाइटल- विजय कुमार बनाम भारत संघ और अन्य

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