यूट्यूबर ध्रुव राठी को अपने ‘रियल फ्रूट जूस’ वाले वीडियो से आपत्तिजनक हिस्से को हटाने का निर्देश, कलकत्ता हाईकोर्ट ने डाबर को अंतरिम राहत दी
हाल ही में यूट्यूबर ध्रुव राठी ने फ्रूट जूस के स्वास्थ्य प्रभावों का विश्लेषण वाला एक वीडिया बनाया और यूट्यूब पर अपलोड किया। डाबर ने इसके खिलाफ कोर्ट का रूख किया। दावा किया कि उसने विशेष रूप से उनके पैक किए गए फलों के उत्पादों 'रियल' जूस का अपमान किया है।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को कंपनी को अंतरिम राहत दी और राठी को वीडियो से आपत्तिजनक हिस्सों को हटाने का निर्देश दिया।
जस्टिस रवि कृष्ण कपूर ने कहा,
"प्रथम दृष्टया भले ही आपत्तिजनक वीडियो का अंतर्निहित इरादा आपत्तिजनक न हो, प्रोडक्ट को बार-बार टारगेट किया गया है। मेरे विचार से, याचिकाकर्ता के प्रोडक्ट रियल को आपत्तिजनक वीडियो में विशेष रूप से टारगेट और बदनाम किया गया है।“
डाबर का दावा है कि राठी ने अपने वीडियो में कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक और आरटीएस फ्रूट बेवरेज और फ्रेश फ्रूट जूस और आरटीएस फ्रूट बेवरेज के बीच अनुचित तुलना की। उन्होंने आगे उपभोक्ताओं को सलाह दी कि वे डिब्बाबंद फलों के रस का सेवन न करें, यह टाइप 2 मधुमेह और बालों के झड़ने का कारण बनता है। राठी ने शरारत से डाबर के पंजीकृत लोगो को केवल आंशिक रूप से धुंधला कर दिया।
यह भी आरोप लगाया गया कि राठी ने विवादित वीडियो में डाबर के प्रचार विज्ञापन से स्लाइड का उपयोग किया था, जो बड़े पैमाने पर उपभोक्ताओं द्वारा उत्पाद 'रियल' से आसानी से संबंधित हैं।
कोर्ट ने कहा,
"वीडियो एक पूर्व विज्ञापन दिखाता है जिसे याचिकाकर्ता द्वारा अपने प्रोडक्ट रियल के संबंध में प्रसारित किया गया था और याचिकाकर्ता के उत्पाद को भी धुंधले तरीके से दिखाया गया है। वीडियो में याचिकाकर्ता ने रियल के उत्पाद को खुले तौर पर बार-बार टारगेट किया है। कोई भी उपभोक्ता यह समझ सकता है कि आपत्तिजनक वीडियो में दिखाया गया उत्पाद याचिकाकर्ता के वास्तविक उत्पाद का है।"
अदालत ने कहा कि राठी ने आपत्तिजनक वीडियो में रियल उत्पाद की पैकेजिंग, लेबल और लोगो का अनाधिकृत उपयोग कर डाबर के ट्रेडमार्क का उल्लंघन किया है।
कोर्ट ने कहा,
"प्रतिवादी नंबर 1 ने आपत्तिजनक वीडियो को प्रकाशित और प्रसारित करने में ट्रेड मार्क अधिनियम, 1999 की धारा 29 (9) और कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के प्रावधानों का भी उल्लंघन किया है।"
इस प्रकार अदालत ने राठी को आपत्तिजनक हिस्सों को हटाकर वीडियो को अपलोड करने का निर्देश दिया।
अदालत ने ध्रुव राठी को 7 दिन के भीतर इस निर्देश का पालन करने को कहा।
कोर्ट ने मामले को 22 मार्च को फिर से सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।
केस टाइटल: डाबर इंडिया लिमिटेड बनाम ध्रुव राठी व अन्य।
कोरम: जस्टिस रवि कृष्ण कपूर
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