"युवा छात्रों को एलएलबी डिग्री हासिल करने के अवसर से वंचित नहीं किया जाना चाहिए": हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को रिक्त सीटें भरने का निर्देश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को अपने एलएलबी पाठ्यक्रम में सभी कैटेगरी में उपलब्ध सभी रिक्त सीटों को दो सप्ताह के अंदर भरने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि भले ही एडमिशन के लिए कट-ऑफ डेट निकल चुकी हो।
जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि युवा छात्रों को एलएलबी डिग्री हासिल करने के अवसर से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। इन युवाओं ने प्रवेश परीक्षा को पास करने के लिए कड़ी मेहनत की है।
अदालत खाली सीटों की उपलब्धता के बावजूद दिल्ली यूनिवर्सिटी के एलएलबी पाठ्यक्रम में प्रवेश नहीं दिए जाने से व्यथित तीन छात्रों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। न्यायालय ने निर्देश दिया कि यूनिवर्सिटी को याचिकाकर्ताओं सहित रिक्तियों को भरने के लिए सभी योग्य उम्मीदवारों पर विचार करना चाहिए।
याचिकाकर्ता का मामला यह था कि सभी कैटेगरी में कई सीटें खाली हैं इसलिए, यह प्रार्थना की गई कि यूनिवर्सिटी को आगे काउंसलिंग सेशन करके एडमिशन बुलेटिन में अधिसूचित सभी 3,320 सीटों को भरने का निर्देश दिया जाए।
याचिकाओं का मुख्य रूप से इस आधार पर विरोध किया गया कि रिक्त सीटों की उपलब्धता के बावजूद, 31 दिसंबर, 2021 की कट-ऑफ तिथि के बाद कोई प्रवेश नहीं दिया जा सकता।
कोर्ट ने कहा,
"मेरा यह भी विचार है कि याचिकाकर्ता युवा छात्र हैं और उन्होंने प्रवेश परीक्षा को पास करने के लिए कड़ी मेहनत की है। इन छात्रों को एलएलबी की डिग्री हासिल करने के अवसर से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। विशेष रूप से COVID-19 के विनाशकारी प्रभाव को ध्यान में रखते हुए। COVID-19 महामारी ने कई छात्रों के लिए एक निराशाजनक माहौल निर्मित किया है, क्योंकि इस महामारी के चलते उनकी पढ़ाई में लगातार व्यवधान होता रहा।"
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि किसी भी संस्थान में काउंसलिंग का उद्देश्य योग्य उम्मीदवारों को शिक्षा और ज्ञान प्राप्त करने का अवसर देकर अधिकतम उपलब्ध सीटों को भरना है, कोर्ट ने कहा:
"बेशक, दिल्ली यूनिवर्सिटी देश भर में शिक्षा प्रदान करने वाले प्रमुख संस्थानों में से एक है और कई छात्रों के लिए इस प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी से अपनी शिक्षा प्राप्त करना एक सपना है। ऐसे प्रतिष्ठित संस्थान में सीट होने के बावजूद उन्हें न भरा जाना योग्य उम्मीदवारों के साथ अनुचित होगा।"
न्यायालय का विचार है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से अंतिम कट-ऑफ डेट के सख्त पालन के आधार पर रिक्त सीटों को भरने पर विचार करने की अनिच्छा को स्वीकार नहीं किया जा सकता है, खासकर जब यूनिवर्सिटी ने स्वयं न तो कट-ऑफ का पालन किया हो। इस संबंध में मीडिया बुलेटिन में उल्लिखित कट-ऑफ डेट में कहा गया कि मान्य दस्तावेज नहीं देने वाले छात्रों के एडमिशन को रद्द किया जाना चाहिए।
अदालत ने निर्देश दिया,
"उपरोक्त कारणों के लिए रिट याचिकाओं को अनुमति दी जानी चाहिए और तदनुसार, अनुमति दी जाती है। प्रतिवादी को दो सप्ताह के भीतर एलएलबी पाठ्यक्रम में सभी उपलब्ध रिक्त सीटों को सभी कैटेगरी में भरने के लिए सभी पात्र उम्मीदवारों पर विचार करे।"
इसमें कहा गया कि यदि छात्रों को एक्स्ट्रा क्लासेस में शामिल होने की कोई आवश्यकता होती है तो यूनिवर्सिटी यह सुनिश्चित करेगा कि यह समय के भीतर अच्छी तरह से आयोजित किया जाए।
तद्नुसार याचिका का निस्तारण किया गया।
केस का शीर्षक: दीपांशु खन्ना और अन्य बनाम दिल्ली यूनिवर्सिटी
साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (दिल्ली) 88
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