हैबियस कॉर्पस की रिट तब जारी नहीं की जा सकती जब कथित दत्तक माँ द्वारा प्राकृतिक माँ से बच्चे की कस्टडी की मांग की जाए: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने हाल ही में 2.5 वर्षीय बच्ची की प्राकृतिक माँ (Natural Mother) से कस्टडी पाने की मांग करने वाली एक कथित दत्तक माँ (Adoptive Mother) द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट याचिका खारिज कर दिया।
"इस तरह के विवादित सवालों के मामले में बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट प्राकृतिक माँ के खिलाफ जारी नहीं की जा सकती है।"
न्यायालय के समक्ष मामला
अपीलार्थी (दत्तक मां होने का दावा करने वाली महिला) ने उत्तरदाता नंबर 4 (बच्चे की प्राकृतिक मां) से बच्ची की कस्टडी की मांग करने वाली रिट याचिका दाखिल की।
अपीलकर्ता ने यह स्वीकार किया कि उसने बच्चे को, गोद लेने के विलेख के निष्पादन के बाद, गोद लिया था। उसने यह भी स्वीकार किया कि गोद लेने की प्रक्रिया को, बच्ची की माँ द्वारा निष्पादित किया गया था और उसके बाद, बच्चे की कस्टडी को प्राकृतिक माँ द्वारा अपीलार्थी को सौंप दिया गया था।
आगे यह तर्क दिया गया कि बच्ची के साथ खेलने के बहाने, अपीलकर्ता से प्राकृतिक माँ ने बच्ची प्राप्त की लेकिन उसके बाद बच्ची को अपीलकर्ता को कभी नहीं लौटाया गया।
इसलिए, बंदी प्रत्यक्षीकरण की एक याचिका को, याचिकाकर्ता (बच्ची की कथित दत्तक मां) द्वारा बच्ची को वापस प्राप्त करने के लिए दाखिल की गई।
कोर्ट का अवलोकन
यह देखते हुए कि बच्चे की प्राकृतिक मां ने गोद लेने की प्रक्रिया की वास्तविकता पर प्रश्नचिन्ह लगाया, अदालत ने टिप्पणी की,
"याचिकाकर्ता को बच्ची की कस्टडी सौंपने के लिए, बंदी प्रत्यक्षीकरण की रिट, इस प्रकृति के विवाद में जारी नहीं की जा सकती है।"
महत्वपूर्ण रूप से, कोर्ट ने कहा,
"याचिका एक ऐसे व्यक्ति द्वारा दायर की गई जो बच्ची की प्राकृतिक माँ से बच्ची को गोद लेने का दावा करती है, हालांकि, बच्ची की प्राकृतिक माँ, गोद लेने वाले विलेख की वास्तविकता पर विवाद प्रकट कर रही है।"
अंत में, न्यायालय ने कहा कि उपरोक्त के मद्देनजर, भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत, वास्तव में मौजूदा विवादित प्रश्नों को लेकर रिट याचिका जारी नहीं की जा सकती है।
इसलिए, न्यायालय ने एकल न्यायाधीश द्वारा पारित किए गए आदेश में किसी भी अवैधता को ना पाते हुए अपील में, उस आदेश में कोई भी हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
तदनुसार, रिट अपील को योग्यता से रहित पाया गया और इस प्रकार खारिज कर दिया गया।