दिल्ली हिंसा : ईदगाह कैंप से हटाए गए दंगा प्रभावित परिवारों को भोजन और दवाइयां मुहैया कराएंगे : दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट में बताया
दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर उन दंगा प्रभावित परिवारों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला गया है जिन्हें COVID19 महामारी के कारण ईदगाह शिविर छोड़ना पड़ा है। दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में आश्वासन दिया है कि ऐसे परिवारों से संपर्क किया जाएगा और उन्हें सहायता प्रदान की जाएगी।
न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति नवीन चावला की खंडपीठ के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई सुनवाई के दौरान उक्त आश्वासन दिए गए हैं।
दिल्ली के दंगा पीड़ितों के बारे में कई मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस ने दलील दी कि यह सभी पीड़ित शुरू में ईदगाह में लगाए गए शिविर में ठहरे थे। लेकिन सरकार ने शिविर को हटा दिया है इसलिए उनको मजबूरन दूसरी जगह पर शरण लेनी पड़ रही है।
अधिवक्ता गोंसाल्वेस ने दलील दी कि ' उनमें से कुछ को अपने घरों में वापस जाना पड़ा और कुछ को अपने रिश्तेदारों के यहां रहना पड़ रहा है।'
उन्होंने यह भी कहा कि लॉकडाउन के मद्देनजर, दंगा प्रभावित पीड़ितों को भोजन और चिकित्सा सहायता के संबंध में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
अधिवक्ता गोंसाल्विस ने जो दलील दी ,उनके विपरीत दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने अदालत को सूचित किया कि जो परिवार ईदगाह के शिविर में रह रहे थे, वे स्वेच्छा से शिविर छोड़कर गए थे और उनको पुलिस या सरकार द्वारा नहीं हटाया गया था।
केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन को देखते हुए वकील मेहरा ने अदालत को आश्वासन दिया कि याचिकाकर्ता द्वारा जिन 275 परिवारों के नाम व फोन नंबर दिए गए है,उनमें से प्रत्येक परिवार के प्रतिनिधि से सरकारी अधिकारी संपर्क करेंगे। वहीं उनके परिवार के सदस्यों की संख्या पूछी जाएगी और पता लगाया जाएगा कि क्या उनको भोजन या दवाई आदि के लिए सहायता की आवश्यकता है या नहीं। जिसके बाद उनको भोजन के पैकेट उपलब्ध करा दिए जाएंगे।
यह भी बताया गया कि प्रत्येक परिवार को उनकी आवश्यकता के अनुसार बुनियादी बीमारियों की दवाइयों से युक्त चिकित्सा किट भी उपलब्ध करा दी जाएगी।
वहीं सामुदायिक क्लीनिकों को बंद करने के संबंध में क्षेत्र में कई अफवाहें चल रही थी। इसलिए वकील मेहरा ने इस मुद्दे को भी संबोधित किया और अदालत को सूचित किया कि उत्तर पूर्व जिले के मोहल्ला क्लीनिक काम कर रहे हैं और प्रत्येक परिवार के प्रतिनिधियों को नोडल अधिकारी क विवरण प्रदान कर दिया जाएगा। ताकि वह किसी भी चिकित्सा सहायता की आकस्मिक आवश्यकता के समय इस अधिकारी से संपर्क कर सकें।
पर्याप्त आवास या निवास स्थान के मुद्दे पर वकील मेहरा ने अदालत को आश्वासन दिया कि यदि किसी भी परिवार को आवास की आवश्यकता होती है, तो उन्हें तुरंत उपयुक्त आवास/ राहत शिविर में रखने के लिए प्रयास किया जाएगा।
दिल्ली सरकार ने यह भी बताया कि 'नोडल अधिकारी उस अधिकारी का संपर्क विवरण भी इन परिवारों के प्रतिनिधियों को उपलब्ध करा देगा,जिससे किसी आपताकलीन स्थिति में और मौजूदा मानदंडों के अनुसार कर्फ्यू पास की आवश्यकता के लिए संपर्क किया जा सकें।
इन विस्थापित परिवारों के आवास के संबंध में अधिवक्ता गोंसाल्विस द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं को संबोधित करते हुए पूर्वी दिल्ली नगर निगम की तरफ से उपस्थित श्री अभिनव अग्रवाल ने अदालत को सूचित किया कि इन पीड़ितों को मौजूदा रैन बसेरों में नहीं रखा जाएगा।
अदालत इस मामले की अगली सुनवाई 3 अप्रैल को करेगी।