वीजा देने और विदेश में गंभीर रूप से बीमार बेटे की सहायता करने के लिए विदेश मंत्रालय को निर्देश देने की मांग करते हुए विधवा मां दिल्ली हाईकोर्ट पहुंची

Update: 2021-06-16 07:45 GMT

Delhi High Court

एक विधवा मां और एक अन्य रिश्तेदार ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की है कि विदेश मंत्रालय को निर्देश दिया जाए कि उन्हें विदेश में गंभीर रूप से बीमार अपने बेटे के पास जाने के लिए ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग से वीजा प्राप्त करने में सहायता प्रदान करें और साथ ही उनके बेटे को चिकित्सा सहायता प्रदान की जाए।

एडवोकेट गुरिंदर पाल सिंह के माध्यम से दायर इस याचिका में भारत के विदेश मंत्रालय के माध्यम से यूनियन ऑफ इंडिया को निर्देश देने की मांग की गई है ताकि सरकार अपने अधिकारियों के जरिए याचिकाकर्ताओं को ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग से वीजा विजिटर (पर्यटक) उप-वर्ग 600 प्राप्त करने में मदद व सुविधा प्रदान कर सके।

अर्शदीप सिंह अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए 2018 में ऑस्ट्रेलिया गया था और 2020 में पढ़ाई पूरी होने के बाद उसे ब्रिजिंग ए वीजा प्रदान किया गया था, जिसके बाद से वह वहां रह रहा है।

मामले के याचिकाकर्ताओं यानी उसकी मां और एक रिश्तेदार को 9 जून को पता चला था कि अर्शदीप सिंह 8 जून से सेंट विंसेंट अस्पताल, मेलबर्न में एक इनडोर रोगी के रूप में भर्ती है और जीवन के लिए खतरनाक स्थिति यानी गुर्दे की बीमारी से पीड़ित हैं,जो अपने अंतिम चरण में है और उसे डायलिसिस की आवश्यकता है। उसे हेमट्यूरिया के साथ नेफ्रोटिक-रेंज प्रोटीनूरिया भी है, इसलिए उसे थ्रोमबाउसिस का खतरा है।

इसे देखते हुए, याचिकाकर्ताओं ने 11 जून को वीजा विजिटर (पर्यटक) उप-वर्ग 600 के लिए आवेदन किया और कोरोना वैश्विक महामारी के कारण आवश्यक यात्रा छूट स्वीकृति प्रपत्र भी जमा किया।

हालाँकि, उसकी मां ने 10 जून को ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त को अपने बेटे की गंभीर स्थिति की ओर इशारा करते हुए एक पत्र भी लिखा था और बताया था कि याचिकाकर्ता अर्शदीप सिंह की देखभाल करने,उसका मनोबल बढ़ाने और उसके तत्काल उपचार के लिए आवश्यकतानुसार सभी उचित कदम उठाने के लिए तत्काल ऑस्ट्रेलिया की यात्रा करना चाहती है।

याचिका में कहा गया है कि,''दुर्भाग्य से, अत्यधिक अत्यावश्यकता के बावजूद, याचिकाकर्ताओं को अपने वीजा आवेदनों पर न ही भारत में स्थित ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग से ,न ही विदेश मंत्रालय, भारत सरकार से और न ही अन्य अधिकारियों से कोई प्रतिक्रिया मिली है।''

इसके अलावा, यह भी कहा गया है कि,

''याचिकाकर्ता नंबर 1 अर्शदीप सिंह की विधवा मां है। वह बहुत मानसिक तनाव में है और हर पीड़ादायक मिनट अपने बेटे के साथ रहने, उसकी देखभाल करने, उसका मनोबल बढ़ाने और उसे सहायता प्राप्त करने की इच्छा में बिता रही है। एक माँ के रूप में वह हर पल अपने बेटे की चिंता कर रही है और उसके स्वास्थ्य व जीवन के लिए प्रार्थना कर रही है और उसके साथ रहना चाहती है।''

याचिका में निम्नलिखित प्रार्थनाएं की गई हैंः

- भारत संघ को विदेश मंत्रालय के माध्यम से निर्देश देने के लिए परमादेश की प्रकृति की एक रिट या कोई अन्य रिट जारी की जाए कि वह अपने अधिकारियों के जरिए याचिकाकर्ताओं को ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग से वीजा विजिटर (पर्यटक) उप-वर्ग 600 प्राप्त करने में मदद और सुविधा प्रदान करे।

- भारत संघ को विदेश मंत्रालय के माध्यम से निर्देश देने के लिए परमादेश की प्रकृति की एक रिट या कोई अन्य रिट जारी की जाए कि वह उपरोक्त अस्पताल के अधिकारियों से तुरंत संपर्क करके उक्त अस्पताल के अधिकारियों द्वारा प्रदान किए जा रहे चिकित्सा उपचार की निगरानी करें और इस संबंध में जरूरी सभी चिकित्सा और अन्य सहायता प्रदान की जाएं।

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