नींव रखने के 14 साल बाद भी क्यों नहीं शुरू हुआ बिहार का पहला स्टील प्लांट?: पटना हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा
पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने शुक्रवार को बिहार में लगने वाले पहले स्टील प्लांट को अब तक नहीं लगाये जाने के मामले में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया सहित केंद्रीय इस्पात मंत्रालय से जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल तथा न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने केंद्र सरकार ने पूछा,
"नींव पड़ने के 14 साल बाद भी अब तक स्टील प्लांट क्यों नहीं शुरू किया गया?"
कोर्ट ने केंद्रीय इस्पात मंत्रालय के सचिव को स्टील प्रोसेसिंग प्लांट की शुरुआत नहीं किये जाने के बारे में विस्तृत हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है।
बेंच ने निर्देश दिया,
"आज से तीन सप्ताह के भीतर कोर्ट में विस्तृत हलफनामा दाखिल किया जाए। उसका प्रत्युत्तर, यदि की हो, उसके बाद दो सप्ताह की अवधि के भीतर दाखिल किया जाना चाहिए।"
कोर्ट ने कहा कि राज्य में उद्योग लगाये जाने पर यहां के मजदूरों का पलायन कम होगा और इससे राज्य का विकास होगा।
कोर्ट ने कहा,
"हम केवल अधिकारियों से यह अपेक्षा करते हैं कि वे सकारात्मक रूप से उचित निर्णय लेंगे, जो न केवल बिहार राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ाएगा बल्कि बिहार से मजदूरों के प्रवास को भी रोकेगा।"
क्या है पूरा मामला?
साल 2008 में यानी लगभग 14 वर्ष पहले वैशाली जिले के महनार प्रखंड में स्टील प्रोसेसिंग प्लांट की नींव रखी गई थी।
इस प्लांट के लिए 50 एकड़ जमीन भी स्टील अथॉरिटी को उपलब्ध करा दिया गया था। बिहार व झारखंड राज्य के पुनर्गठन के बाद बिहार में यह पहला स्टील प्लांट लगना था।
कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को स्टील प्लांट लगाये जाने में एक सकारात्मक निर्णय लेने की अपेक्षा की है ताकि सूबे में औद्योगिक विकास हो सके।
कोर्ट ने मामले को 22 अप्रैल को अगली सुनवाई के लिए पोस्ट किया।
याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट बिरेंद्र कुमार और एडवोकेट संजु सिंह पेश हुए। प्रतिवादी की ओर से एएसजी के.एन. सिंह पेश हुए।
केस का शीर्षक: राजीव रंजन सिंह बनाम. बिहार राज्य और अन्य।
कोरम: मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह
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