जब खनिज और खनन अधनियम के तहत अपराध को माफ़ कर दिया गया है तो आईपीसी की धारा 379 के तहत अभियोजन नहीं टिकेगा : कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर खनिज और खान (विकास और विनियमन) (एमएमआरडी) अधिनियम के तहत अगर अपराध को जुर्माना वसूलकर माफ़ कर दिया गया है तो आईपीसी की धारा 379 के तहत उसका अभियोजन अदालत में नहीं टिकेगा।
न्यायमूर्ति पीबी बजंथ्री ने सुरेश के और फ्रंसिक @मंजुनाथ जोसफ के खिलाफ कदाबा पुलिस थाने में खनिज और खान (विकास और विनियमन) अधिनियम की धारा 4(1) और 21(A) और कर्नाटक गौण खनिज छूट नियम के नियम 31(R), 42 और आईपीसी की धारा 379 के तहत दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया।
क्या है मामला
याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप था कि वह सरकारी जमीन से गैर कानूनी तरीके से बालू निकाल रहा था। पुख्ता सूचना के आधार पर प्रतिवादियों ने डॉ. सुरेश कुमार के ठिकानों पर छापे मारकर तलाशी ली और जब्ती की और इसके बाद उसे हिरासत में ले लिया। 25 जुलाई 2014 को खान एवं भूगर्भ विभाग ने 45 हजार का जुर्माना वसूलने के बाद अपराध को माफ़ कर दिया।
एडवोकेट अरुणा श्याम एम ने याचिकाकर्ताओं की पैरवी करते हुए कहा, "इन संबंधित ठिकानों पर छापे डालने से पहले, याचिकाकर्ता को अधिनियम, 1957 के प्रावधानों के तहत उसके खिलाफ एफआईआर दायर करनी चाहिए थी। आगे कहा गया कि अधिनियम, 1957 के प्रावधानों के तहत सक्षम प्राधिकार को न्यायिक क्षेत्राधिकार वाले मजिस्ट्रेट के समक्ष मामला दायर करना चाहिए था। फिर, जब 45 हजार रुपये का जुर्माना वसूलने के बाद अपराध को माफ़ कर दिया गया तो आईपीसी की धारा 379 की मदद नहीं ली जानी चाहिए थी।
राज्य ने उपरोक्त तथ्यों को नकारा नहीं है।
अदालत ने कहा,
" अपराध को 45 हजार रुपये का जुर्माना लेकर समाप्त कर दिया गया है। याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी करने के बाद कदबा पुलिस ने जो मामला दायर किया है (अपराध संख्या 88/2014, सीसी नंबर 594/2015) उस पर गौर नहीं किया जा सकता है, इसलिए इस याचिका को स्वीकार किया जाता है और इस तरह अतिरिक्त सिविल जज और जेएमएफसी, पुत्तूर जिला के समक्ष सीसी नंबर 594/2015 के तहत सभी कार्रवाई को निरस्त किया जाता है।"