पश्चिम बंगाल पोस्ट पोल हिंसा: कलकत्ता हाईकोर्ट ने एनएचआरसी और डब्ल्यूबीएचआरसी से पूछा, क्या वे कथित पीड़ितों की शिकायतों को दूर करने के लिए समिति का गठन कर सकते हैं
कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग (डब्ल्यूबीएचआरसी) को निर्देश दिया कि वे इस बारे में निर्देश प्राप्त करें कि क्या वे इस आरोप की जांच करने की स्थिति में हैं कि करीब 303 पीड़ितों की शिकायतों को सुन सके। उक्त पीड़ित पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के कारण विस्थापित हुए और उन्हें उनके घरों और कार्यस्थलों पर लौटने से रोक दिया गया है।
कोर्ट ने 19 अगस्त, 2021 के आदेश के तहत महिलाओं के खिलाफ हत्या, बलात्कार और अपराध से संबंधित मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी थी, जबकि चुनाव के बाद हुई हिंसा से संबंधित अन्य आपराधिक मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था।
चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस राजरशी भारद्वाज की पीठ याचिकाकर्ता प्रियंका टिबरेवाल द्वारा दो सदस्यों की समिति गठित करने की प्रार्थना पर सुनवाई कर रही थी। इसमें से एक एनएचआरसी और राज्य मानवाधिकार आयोग से 303 कथित पीड़ितों की शिकायतों को दूर करने के लिए थी।
याचिकाकर्ता को दो दिनों के भीतर रिट याचिका और अन्य प्रासंगिक दस्तावेजों की एक प्रति एनएचआरसी और डब्ल्यूबीएचआरसी को जमा करने का भी आदेश दिया गया।
याचिकाकर्ता ने इससे पहले खंडपीठ के समक्ष विस्तृत हलफनामा प्रस्तुत किया। इसमें चुनाव के बाद की हिंसा के 303 कथित पीड़ितों के नाम और संपर्क विवरण दिए गए हैं। सुनवाई की पिछली तिथि पर न्यायालय ने याचिकाकर्ता को संबंधित उद्देश्य के लिए तत्काल कार्यवाही में एनएसआरसी और राज्य मानवाधिकार आयोग दोनों को शामिल करने की अनुमति दी थी।
मंगलवार को अदालत ने एनएचआरसी और डब्ल्यूबीएचआरसी की ओर से पेश वकीलों को सुनवाई की अगली तारीख पर अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि क्या वे उक्त समिति बनाने और आरोपों की जांच करने की स्थिति में हैं।
कार्यवाही के दौरान, डब्ल्यूबीएचआरसी की ओर से पेश वकील ने अदालत को अवगत कराया कि मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की योजना एनएचआरसी और डब्ल्यूबीएचआरसी को WB Post Poll Violence: Calcutta HC Asks NHRC & WBHRC If It Can Constitute Committee To Address Complaints Of Alleged Victims
संयुक्त रूप से कार्य करने और प्रार्थना के अनुसार जांच करने की अनुमति नहीं देती है।
इसके अलावा, राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता एसएन मुखर्जी ने अदालत को अवगत कराया कि कथित रूप से विस्थापित हुए 303 व्यक्तियों में से एक व्यक्ति का नाम दोहराया गया है, 70 व्यक्ति अपने घरों को लौट गए हैं, 16 व्यक्तियों से संपर्क नहीं किया जा सका है, 43 व्यक्ति कहीं और रह रहे हैं, 18 व्यक्ति फरार हैं और 155 व्यक्ति व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए स्थानांतरित हो गए हैं।
अदालत ने तदनुसार महाधिवक्ता को सुनवाई की अगली तारीख पर इन तथ्यों का खुलासा करते हुए एक हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
केस शीर्षक: प्रियंका टिबरेवाल बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य