'टेस्टिंग, ट्रेसिंग एंड ट्रीटमेंट' रणनीति का सख्ती से पालन करेंः गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य को कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए एक्शन प्लान दायर करने को कहा

Update: 2021-06-20 04:30 GMT

Gujarat High Court

कोरोना महामारी की संभावित तीसरी लहर से चिंतित, गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से प्रकोप को रोकने और एक निवारक कार्य योजना तैयार करने के लिए '3 टी मॉडल' अपनाने को कहा है। राज्य को 'टेस्टिंग, ट्रेसिंग एंड ट्रीटमेंट' रणनीति का सख्ती से पालन करने की सलाह दी गई है।

जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस भार्गव डी करिया की डिवीजन बेंच ने कहा कि,

''आज कोरोना के केस कम हो रहे हैं,इसलिए प्रशासन के लिए संपर्कों का पता लगाना, ऐसे संपर्कों को क्वारंटीन करना और उनका टेस्ट करना और उसी के अनुसार इलाज करना आसान होगा, ताकि बड़े पैमाने पर जनता को महामारी की तीसरी लहर से बचाया जा सके। विशेषज्ञों की राय के अनुसार तीसरी लहर अक्टूबर-नवंबर 2021 में आने की उम्मीद है।''

पीठ राज्य में COVID19 प्रबंधन पर एक स्वतः संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।

समाज के कमजोर वर्गों के इलाज के संबंध में अधिवक्ता एजे याज्ञनिक द्वारा उठाए गए विभिन्न मुद्दों के बीच, न्यायमूर्ति करिया ने कहा कि बेंच व्यापक स्तर पर मुद्दों से निपटने के लिए इच्छुक है।

उन्होंने कहा कि,

''मौजूदा स्थिति में जब कोरोना के मामले कम हो रहे हैं, तो आने वाली तीसरी लहर के लिए इस मुद्दे को कैसे संबोधित किया जाए, यह हमारी चिंता है ... हम अपनी ऊर्जा को आने वाले समय पर केंद्रित करें। इसलिए इसकी सूक्ष्म स्तर पर जांच न करें।''

बेंच ने गुजरात हाई कोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता पर्सी कविना को भी सुना। उन्होंने प्रस्तुत किया कि राज्य सरकार ने गुजरात राज्य में किए जाने वाले टीकाकरण की अनुसूची के संबंध में विवरण प्रदान नहीं किया है।

राज्य द्वारा इस संबंध में कोई विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया है कि कब और कितनी मात्रा में उनको वैक्सीन मिलेगी और कब जनता को बड़े पैमाने पर वैक्सीन लगाई जाएगी।

दूसरी ओर राज्य ने दावा किया कि बड़े पैमाने पर जनता के टीकाकरण के लिए पर्याप्त कदम उठाए जा रहे हैं और यह एक सतत प्रक्रिया है। आगे यह भी बताया गया कि वैक्सीन के निर्माताओं ने वैक्सीन की आपूर्ति के लिए कोई समय-सारणी नहीं दी है और इसलिए, इस तरह के डेटा को रिकॉर्ड पर रखना संभव नहीं है।

कविना ने यह भी आग्रह किया कि राज्य को दूरस्थ/ ग्रामीण जिलों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित किया जाए। एडवोकेट कविना ने दावा किया कि दूरदराज के इलाकों में स्थिति 'भयानक' है, इसलिए उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि इन जगहों पर ऐसे डॉक्टरों और वकीलों द्वारा फिजिकल जांच करवाने का आदेश दिया जाए, जो सरकार से ''पूरी तरह से असंबद्ध'' हैं।

कोर्ट ने आदेश दिया कि,''राज्य सरकार संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयार कार्य योजना ( यदि कोई हो) को रिकॉर्ड पर रख सकती है।''

किशोर गृह, वृद्धाश्रम, नारी संरक्षण गृह आदि के बंदियों के प्राथमिक टीकाकरण के मुद्दे पर याज्ञनिक ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा एक सर्कुलर जारी करने के अलावा उन्हें प्राथमिकता देने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है।

न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने राज्य के हलफनामे को देखने के बाद कहा, ''उनका नंबर पंक्ति में आएगा ... यह समय के साथ दिया जाएगा।''

मामले की सुनवाई अब 2 जुलाई को की जाएगी।

केस का शीर्षकः सू मोटो बनाम गुजरात राज्य

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