उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक, 2024 को भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सहमति दी गई।
गौरतलब है कि 2022 में UCC का मसौदा तैयार करने के लिए पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली उत्तराखंड सरकार ने समिति का गठन किया था। इस समिति में सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय पैनल शामिल था और इसने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी।
राज्य मंत्रिमंडल द्वारा अंतिम मसौदे को मंजूरी देने के दो दिन बाद उपरोक्त विधेयक (6 फरवरी को) उत्तराखंड विधानसभा में पेश किया गया। अगले दिन यानी 7 फरवरी को इसे पारित कर दिया गया।
28 फरवरी को विधेयक को राज्य के उपराज्यपाल द्वारा अनुमोदित किया गया और राष्ट्रपति की सहमति के लिए आरक्षित किया गया।
कानून के कुछ प्रमुख पहलू हैं: लिव-इन संबंधों का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन, अनुबंध विवाह की शर्तें, हलाला, इद्दत और बहुविवाह पर प्रतिबंध और पुरुषों और महिलाओं के लिए समान विरासत अधिकार। यह न केवल उत्तराखंड पर बल्कि राज्य के उन निवासियों पर भी लागू होता है, जो इसके क्षेत्रों से बाहर रह रहे हैं। हालांकि, अनुसूचित जनजातियों के लिए आवेदन को बाहर रखा गया।
अधिनियम में निर्धारित सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तनों में से एक लिव-इन रिलेशनशिप का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन है। भारतीय कानून के लिए अभूतपूर्व, जो व्यक्ति लिव-इन रिलेशनशिप का हिस्सा हैं (उत्तराखंड के निवासी होने के नाते), उन्हें अब रिश्ते में प्रवेश करने के एक महीने के भीतर रजिस्ट्रार के समक्ष रजिस्ट्रेशन कराना होगा। ऐसा करने में विफल रहने पर जेल की सजा या जुर्माना हो सकता है।