स्वेछा से धर्म परिवर्तन करने वाली यूपी की महिला ने उसके खिलाफ मीडिया द्वारा दुर्भावनापूर्ण सामग्री प्रकाशित करने पर रोक लगाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया
इस्लाम धर्म अपनाने वाली एक हिंदू महिला ने सुरक्षा की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। महिला ने दावा किया कि उसे अपने और अपने परिवार के सदस्यों के जीवन के लिए अत्यधिक खतरा है, जिन्हें कथित तौर पर उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारियों द्वारा डराया और धमकाया जा रहा है।
महिला ने यह भी दावा किया है कि उसके धर्म परिवर्तन के कारण उसे और उसके परिवार के सदस्यों को निशाना बनाया जा रहा है। इसे लेकर हर दिन मीडिया में उसके बारे में दुर्भावनापूर्ण सामग्री प्रकाशित की जा रही है।
संक्षेप में तथ्य (जैसा कि उनकी याचिका में कहा गया है)
याचिकाकर्ता दिल्ली में एक कामकाजी महिला है और दिल्ली में ही रहती है। वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश की है और 27 मई, 2021 को उसने अपनी मर्जी से और बिना किसी धमकी या जबरदस्ती के इस्लाम धर्म अपना लिया था।
23 जून, 2021 को जब वह उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में थीं, तो उन्हें विभिन्न मीडियाकर्मियों के टेलीफोन कॉल आने लगे। मीडियाकर्मियों ने उनके साथ एक बैठक का अनुरोध किया, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया।
इसके बाद, वे उसकी इच्छा के विरुद्ध उसके घर आए और फिर उन्होंने उसकी तस्वीरें लीं। साथ ही उसकी अनुमति के बिना और उसकी इच्छा के विरुद्ध धमकी देकर वीडियो बनाया।
उसने अपनी याचिका में कहा है कि उत्तर प्रदेश में छोटे स्तर के समाचार पत्रों और समाचार पोर्टलों में याचिकाकर्ता के धर्मांतरण के संबंध में पूरी तरह से बेतुका और काल्पनिक विवरण देने के संबंध में कई समाचार रिपोर्टें सामने आईं।
इसके अलावा, उसने सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस आयुक्त को एक पत्र लिखा और आरोप लगाया कि उसे अलग-अलग लोगों से कई कॉल और संदेश प्राप्त हो रहे है। इस कॉल्स पर कहा जा रहा है कि उन्हें जबरन वापस उत्तर प्रदेश बुलाया जाएगा और फिर से उनका धर्म परिवर्तन कराया जाएगा।
याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि 26 जून, 2021 को उसके पिता को उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारियों ले गए थे। इस संबंध में उसे सूचित किया गया था कि वे दिल्ली आएंगे। मगर वह उन्हें वापस उत्तर प्रदेश ले गए, जहां उसे झूठी शिकायत/एफआईआर दर्ज करने के लिए मजबूर किया जाएगा।
उसने अपनी जमानत याचिका में प्रस्तुत किया है कि वह एक वयस्क है और वह अपने धर्म को चुनने के लिए संविधान द्वारा संरक्षित है और वह जिस धर्म का पालन करती है। उसके लिए उसे लक्षित और परेशान नहीं किया जा सकता है।
याचिका में प्रार्थना
1. प्रतिवादियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट की अदालत के अधिकार क्षेत्र से बल या जबरदस्ती या राज्य की एजेंसियों या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी अन्य अवैध तरीके से नहीं ले जाया जाए और उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए।
2. याचिकाकर्ता, उसके परिवार के सदस्य और दोस्तों के जीवन, स्वतंत्रता, सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिवादियों को निर्देश और याचिकाकर्ता के धर्मांतरण के संबंध में उन्हें परेशान नहीं किया जाए और न ही पूछताछ की जाए।
3. मीडिया चैनलों (ई मीडिया, प्रिंट मीडिया और विजुअल मीडिया सहित) को निर्देश दिया जाए कि याचिकाकर्ता के संबंध में कोई भी दुर्भावनापूर्ण सामग्री प्रकाशित न करें और उसके व्यक्तिगत विवरण का खुलासा न करें। यदि पहले से ही किया गया है तो उसे तत्काल प्रभाव से हटाया जाए।
4. यूपी राज्य की प्रतिवादी एजेंसियों को याचिकाकर्ता या किसी अन्य व्यक्ति को परेशान न करने का निर्देश दिए जाए। यूपी राज्य में परिवर्तित नहीं हुआ है और इसलिए उस पर यूपी गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण अध्यादेश, 2020 के प्रावधान के लागू नहीं होते हैं।