यूपी कोर्ट ने सलमान खुर्शीद के खिलाफ उनकी किताब में हिंदुत्व पर टिप्पणी के लिए एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए

Update: 2021-12-23 06:56 GMT

यूपी कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस को वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद के खिलाफ उनकी पुस्तक 'सनराइज ओवर अयोध्या: नेशनहुड इन आवर टाइम्स' में हिंदुत्व पर टिप्पणी के लिए प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया।

लखनऊ की अदालत शुभांगी तिवारी [156(3) सीआरपीसी के तहत] की शिकायत पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने आरोप लगाया है कि खुर्शीद की किताब के कुछ हिस्सों ने हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है क्योंकि इसमें हिंदुत्व या हिंदू धर्म की तुलना आईएसआईएस और बोको हराम से की गई है।

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट शांतनु त्यागी ने बख्शी का तालाब थाना प्रभारी [लखनऊ] को कानून के संबंधित प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज करने और मामले की उचित जांच सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

मजिस्ट्रेट ने यह भी आदेश दिया है कि एफआईआर की कॉपी अगले तीन दिनों के भीतर कोर्ट को भेजी जाए।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले महीने कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद द्वारा लिखित पुस्तक "सनराइज ओवर अयोध्या" के आगे प्रकाशन / प्रसार के खिलाफ दायर एक याचिका को खारिज कर दिया था।

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने शुरुआत में टिप्पणी की थी,

"ये सभी मौके का फायदा उठानेवाले याचिकाकर्ता हैं।"

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने और उचित तर्कों और पक्षों के साथ नई याचिका दायर करने की अनुमति दी।

पीठ ने कहा था,

"यदि आप एक वरिष्ठ अधिवक्ता को अपने मामले में पक्षकार बनाने में इतने शर्माते हैं जो पुस्तक के लेखक भी हैं, तो एक जनहित याचिका दायर न करें। अधिकांश जनहित याचिकाएं तो ब्लैकमेलिंग प्रकार या प्रचार के लिए होती हैं।"

इससे पहले, एकल न्यायाधीश की पीठ ने इसी तरह की एक याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस और बोको हराम जैसे समूहों से करने के लिए किताब पर रोक लगाने की मांग की गई थी।

दिल्ली की एक अदालत ने पिछले महीने हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद द्वारा लिखी गई किताब 'सनराइज ओवर अयोध्या' के खिलाफ दायर मुकदमे में अंतरिम एकपक्षीय निषेधाज्ञा देने से इनकार कर दिया था। वाद ने पुस्तक के प्रकाशन, बिक्री, प्रसार और वितरण को रोकने के लिए निषेधाज्ञा की मांग की थी।

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