केरल हाईकोर्ट ने राजनीतिक दलों द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर लगाए जाने वाले पार्टी झंडे के खतरे के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया; राज्य सरकार से जवाब मांगा

Update: 2021-10-13 05:53 GMT

केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को संबंधित अधिकारियों से आवश्यक अनुमति प्राप्त किए बिना राजनीतिक दलों द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर लगाए जाने वाले पार्टी झंडे के खतरे के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है।

न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने राज्य को नोटिस जारी किया और इस पर जवाब मांगा कि राजनीतिक दलों द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर लगाए फ्लैग पोस्ट को क्यों नहीं हटाया जाना चाहिए।

बेंच ने कहा,

"एक सवाल जो इस अदालत के सामने है वह यह है कि किसी संस्था को सार्वजनिक सड़कों या सड़क पोराम्बोक पर फ्लैग मास्ट लगाने की अनुमति कैसे दी जाती है क्योंकि यह निश्चित रूप से (केरल) भूमि संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन होगा। मैं इसके लिए विवश हूं यह सवाल इसलिए उठाया जाता है क्योंकि इस तरह के फ्लैग पोस्ट पूरे राज्य में बहुत सर्वव्यापी हैं और विभिन्न संस्थाएं इसे स्थापित करती दिख रही हैं जैसे कि उन्हें ऐसा करने के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है।"

कोर्ट ने यह टिप्पणी याचिकाकर्ता सोसायटी मन्नम शुगर मिल के सामने लगे झंडे को हटाने की मांग वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए की।

कोर्ट ने नोट किया कि इस तरह के फ्लैग पोस्ट राज्य के हर नुक्कड़ पर पाए गए और अधिकारियों से इस मुद्दे पर जवाबदेह होने का आग्रह किया।

कोर्ट ने कहा,

"झंडे राज्य में लगभग हर जंक्शन पर पाए जाते हैं, जहां भी सार्वजनिक उपयोगिता वाहनों के लिए स्टैंड आवंटित किए जाते हैं या जहां कहीं भी उनका राजनीतिक और अन्य प्रभाव होता है।"

अदालत ने यह आदेश एक संपत्ति के मालिक द्वारा दायर याचिका पर जारी किया, जिसने अधिवक्ता आरटी प्रदीप के माध्यम से अदालत का दरवाजा खटखटाया।

याचिका में राजनीतिक दलों द्वारा कथित तौर पर उनकी संपत्ति पर लगाए गए फ्लैग पोस्ट को हटाने के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग की गई थी।

सरकारी वकील ईसी बिनीश ने प्रस्तुत किया कि उक्त फ्लैग पोस्ट याचिकाकर्ता की संपत्ति पर नहीं बल्कि एक सार्वजनिक सड़क पर हैं।

कोर्ट ने कहा कि क्या यह फ्लैग पोस्ट निजी संपत्ति पर है? अगर इसे उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना लगाया गया है तो यह अनुचित है। तद्नुसार स्थानीय स्वशासन संस्थाओं के सचिव को मामले में पक्षकार बनाया गया और उनसे उत्तर मांगा गया।

न्यायालय ने सुनवाई समाप्त होने से पहले दोहराया कि अन्य स्थानों पर ऐसे प्रतिष्ठानों के बड़े मुद्दे पर भी सक्षम अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करना चाहिए।

बेंच ने राज्य को 1 नवंबर को पोस्ट की गई अगली सुनवाई तक जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया।

केस का शीर्षक: मन्नम शुगर मिल्स कोऑपरेटिव लिमिटेड बनाम पुलिस उपाधीक्षक

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