दो वकील ने बॉम्बे हाईकोर्ट को वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष रूप से विकलांग और चिकित्सकीय रूप से विकलांग लोगों को डोर टू डोर जाकर टीकाकरण करने की एक नीति बनाने के लिए निर्देश देने की मांग की
बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की गई जिसमें केंद्र सरकार को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि केंद्र सरकार वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष रूप से विकलांग और चिकित्सकीय रूप से विकलांग लोगों को जल्द से जल्द कोविड टीकाकरण सेवाएं प्रदान करने के लिए डोर टू डोर जाकर वैक्सीन लगाने की एक नीति बनाएं।
महाराष्ट्र के दो वकील ध्रुत कपाड़िया और कुणाल तिवारी ने चिकित्सा सुविधा के साथ डॉक्टर को घर पर बुलाकर कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिक को अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर प्रदान करने के लिए अधिकारियों को दिशा-निर्देश की मांग की है।
याचिका में कुछ लोगों के लिए एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की गई है जैसे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिक, विशेष रूप से विकलांग और चिकित्सकीय रूप से विकलांग लोगों को टीकाकरण करवाने के लिए ऐसी सेवाओं की जरूरत होती है। इसके साथ ही ऐसे लोगों को लाने ले जाने के लिए एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
कोर्ट से याचिका में वैक्सीन के लिए ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट बुक करने के लिए अनिवार्य आधार कार्ड या पैनकार्ड नंबर की एंट्री डिटेल भरने से छूट देने के लिए आग्रह किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकार सहित प्रतिवादी नागरिकों को टीकाकरण करवाने में मदद करके अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन अभी भी कई ऐसे लोग हैं जो पूरी तरह से बिस्तर पर हैं और टीकाकरण करवाने के लिए पास के केंद्र पर जाने की स्थिति में नहीं हैं उन पर अब तक ध्यान नहीं दिया गया है।
याचिकाकर्ताओं के अनुसार ऐसे लोग हैं जो चिकित्सकीय रूप से बीमार हैं, लेकिन उन्हें वैक्सीन लगवाने की सलाह दी गई है, लेकिन फिर भी वैक्सीन लगवाने के लिए केंद्र तक जाने की अक्षमता के कारण टीकाकरण नहीं कराया जा सका है।
याचिकाकर्ताओं ने टीकाकरण के बारे में जागरूकता पैदा करने और नागरिकों को सर्वोत्तम सेवा प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा किए गए जबरदस्त काम की सराहना करते हुए तर्क दिया है कि सरकार को 75 साल से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष रूप से शारीरिक रूप से विकलांग या बिस्तर से उठने में असक्षम और घरों से बाहर निकलने में असक्षम लोगों को टीकाकरण करवाने के लिए डोर टू डोर सुविधा प्रदान करनी चाहिए।
सामाजिक कार्यकर्ता याचिकाकर्ता ने कहा है कि उनको वरिष्ठ नागरिकों ने कॉल करके निम्नलिखित परेशानी के बारे में बताया है जिनका वे सामना कर रहे हैं,
• वरिष्ठ नागरिक जो पूरी तरह से बिस्तर पर हैं वे उनकी अधिक उम्र और स्वास्थ्य के मद्देनजर टीका केंद्र तक पहुंचने में असमर्थ हैं, लेकिन टीका लगवाने की इच्छा रखते हैं।
• 75 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिक COVID19 वैक्सीन केंद्र जाने में असक्षम हैं।
• कई वरिष्ठ नागरिकों को यह भी पता नहीं है कि ऑनलाइन पंजीकरण कैसे करना है और खुद से अप्वाइंटमेंट बुक करना भी नहीं आता है।
• जो मानसिक रूप से बीमार हैं और वे अधिक उम्र के नहीं हैं और जिनके पास आधार कार्ड नहीं हैं और न ही पैन कार्ड हैं, ये लोग ऐसे में अनिवार्य दस्तावेजों के बिना अपॉइंटमेंट बुक नहीं कर पा रहे हैं।
•Covid19 केंद्र में लंबी कतारें लगती हैं इससे 4 से 5 घंटे तक इंतजार करना पड़ता है।
याचिकाकर्ता के अनुसार यदि प्रतिवादी अधिक उम्र और वैक्सीन के लिए केंद्रों तक पहुंचने में असक्षम प्रत्येक लोगों को वैक्सीन प्रदान नहीं करने में असमर्थ है तो यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत ऐसे लोगों के जीवन और अच्छे स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन होगा।
याचिकाकर्ता ने सुझाव दिया है कि चिकित्सा विशेषज्ञों और चिकित्सा प्रौद्योगिकी के माध्यम से ऐसे लोगों को टीकाकरण की सुविधा प्रदान की जा सकती है जो लोग टीकाकरण के लिए कोविड केंद्र जाने में असक्षम हैं।
याचिकाकर्ता ने यह भी सुझाव दिया है कि सरकार की ओर से डोर टू डोर टीकाकरण की कीमत लगभग 500 रूपये तय की जानी चाहिए और होम विजिट के लिए विशेष शुल्क लिया जा सकता है।