"क्या ये लोग शक्तिहीन हैं?": दिल्ली हाईकोर्ट ने नेहरू प्लेस में वेंडर्स द्वारा न्यायिक आदेशों के उल्लंघन के बारे में शिकायत करने पर एसडीएमसी को फटकार लगाई

Update: 2021-12-10 11:00 GMT

Delhi High Court

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को नेहरू प्लेस इलाके में विक्रेताओं (वेंडर्स) द्वारा न्यायिक आदेशों के उल्लंघन के बारे में शिकायत करने पर फटकार लगाई, जिसमें कहा गया था कि आदेशों को लागू करना प्राधिकरण की जिम्मेदारी है।

न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ बाजार की एक इमारत में आग लगने की घटना के बाद अदालत द्वारा दर्ज एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी।

एसडीएमसी द्वारा एक संबंधित अवमानना मामले में प्रस्तुत एक हलफनामे के बारे में अदालत को अवगत कराए जाने के बाद यह टिप्पणी आई, जिसमें कहा गया है कि कुछ वेंडर्स अन्य उल्लंघनों सहित न्यायालय द्वारा निर्धारित समयरेखा का पालन नहीं कर रहे हैं।

कोर्ट ने कहा,

"यह आश्चर्यजनक है कि वे हमें बता रहे हैं कि उल्लंघन हुआ है। क्या ये लोग शक्तिहीन हैं? उनके पास कोई अधिकार क्षेत्र या शक्ति निहित नहीं है? वे हमसे शिकायत क्यों कर रहे हैं? हमें उनसे शिकायत करनी चाहिए। हमें यह समझ में नहीं आ रहा है। अगली बार पुलिसकर्मी यहां आकर कहेंगे कि चोरी हो रही है, आप मेरी मदद करें। हम चोरी के मामले को सुलझाने वाले नहीं हैं। पुलिस को इसे हल करना चाहिए। वह आरोप लगा रहा है कि अदालत के आदेशों का उल्लंघन है। वे क्या कर रहे हैं? ये जमीनी स्तर पर व्यक्ति हैं, क्या वह निर्देशों को लागू करने में सक्षम नहीं हैं।"

कोर्ट ने हलफनामे पर नाराजगी जताते हुए एसडीएमसी के वकील से पूछा कि क्या कोर्ट में कोई मजाक चल रहा है।

कोर्ट ने आगे कहा,

"क्या वह (संबंधित अधिकारी) सेवानिवृत्त हो गया है या क्या वह चाहता है कि हम उसे सेवानिवृत्त करें? कृपया देखें, वे हमें बता रहे हैं कि आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा है और मैं इसके बारे में कुछ नहीं कह सकता। उसे वेतन किस लिए मिल रहा है?"

इस पर एसडीएमसी की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से कहा कि इस मामले को उच्चाधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा।

इस तथ्य पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कि जमीनी स्तर की वास्तविकता को समन्वय समिति के ध्यान में नहीं लाया गया है, जिसे विशेष रूप से न्यायालय द्वारा स्थापित किया गया है, पीठ ने समन्वय समिति को दो सप्ताह के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई 20 जनवरी के लिए सूचीबद्ध करते हुए निर्देश दिया,

''समन्वय समिति के प्रभारी को सुनवाई की अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है।''

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एसडीएमसी से कहा कि हलफनामा दाखिल करने वाले सहायक आयुक्त सच कह रहे हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि कार्रवाई घर से की गई होगी।

बेंच ने कहा,

"आपका कर्मचारी क्या कर रहा है? वे हमसे शिकायत कर रहे हैं। वह इसे जमीनी स्तर पर पा रहा है, लेकिन वह कार्रवाई नहीं करना चाहता। वह एक बुरा इंसान नहीं बनना चाहता।

बेंच ने आगे कहा,

"आपकी समिति क्या कर रही है? आपका समन्वयक कुछ नहीं कर रहा है। वह किसी से बात नहीं करता है। वह एक सहायक आयुक्त है। कोई समन्वय नहीं हो रहा है। आपका समन्वयक काम नहीं कर रहा है। वह इन सभी लोगों से बात नहीं करता है। वे बैठकें नहीं करते हैं।"

इससे पहले यह देखते हुए कि नेहरू प्लेस बाजार क्षेत्र झुग्गी नहीं बन जाना चाहिए, न्यायालय ने क्षेत्र में अवैध निवासियों के प्रबंधन पर दक्षिण दिल्ली नगर निगम से सुझाव मांगा था।

कोर्ट ने यह भी कहा था कि उक्त वेंडर्स हॉकिंग और वेंडिंग की शर्तों का सख्ती से पालन करेंगे, उनका कोई स्थायी ढांचा नहीं होगा और वे हॉकिंग की अनुमति वाले क्षेत्र तक ही सीमित रहेंगे।

इससे पहले, कोर्ट ने दिल्ली फायर सर्विसेज को भविष्य के लिए कमियों की पहचान करने के उद्देश्य से एक कार्य दिवस पर नेहरू प्लेस मार्केट में मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश दिया था।

कोर्ट ने इसके बाद दिल्ली सरकार और पुलिस को एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड जैसी आपातकालीन सेवाओं के लिए एक लेन निर्धारित करने का निर्देश दिया, ताकि उनके लिए अबाधित आवाजाही सुनिश्चित हो सके।

कोर्ट ने डीडीए, दिल्ली पुलिस और एसडीएमसी को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया था कि दिल्ली फायर ब्रिगेड द्वारा दी गई सिफारिशों और सुझावों को जल्द से जल्द लागू किया जाए।

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को भी नो हॉकिंग एंड वेंडिंग पॉलिसी लागू करने का निर्देश दिया था।

केस टाइटल: कोर्ट ऑन इट्स ओन मोशन बनाम दिल्ली सरकार एंड अन्य

Tags:    

Similar News