गोदाम में रखी चाय कृषि उपज, उस पर सर्विस टैक्स नहीं लगता: बॉम्बे हाई कोर्ट

Update: 2023-12-13 05:23 GMT

Bombay High Court 

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपीलेट अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (एएएआर) के खिलाफ सर्टिओरीरी रिट जारी की और माना कि गोदामों में संग्रहीत "चाय" कृषि उपज है और सर्विस टैक्स के लिए पात्र नहीं है।

जस्टिस जी.एस. कुलकर्णी और जस्टिस जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने कहा कि सर्टिओरीरी रिट केवल तभी जारी की जा सकती है, जब न्याय की विफलता हो और इसे केवल इसलिए जारी नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ऐसा करना कानूनी रूप से स्वीकार्य हो सकता है। रिकॉर्ड में स्पष्ट त्रुटि होनी चाहिए, क्योंकि हाईकोर्ट केवल पर्यवेक्षी क्षमता में कार्य करता है। रिकॉर्ड पर दिखाई देने वाली त्रुटि का मतलब एक ऐसी त्रुटि है, जो किसी को देखने मात्र से ही समझ में आ जाती है। इसका मतलब उन बिंदुओं पर तर्क करने की लंबी-लंबी प्रक्रिया नहीं है, जहां संभावित रूप से दो राय हो सकती हैं। ऐसी त्रुटियों को अपनी ग़लती दर्शाने के लिए किसी बाहरी मामले की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।

याचिकाकर्ता/निर्धारिती ने अपना गोदाम मेसर्स बॉम्बे वेयरहाउस एक्ट, 1959 के प्रावधानों के अनुसार मुआवजे के भुगतान पर यूनिलीवर इंडिया एक्सपोर्ट्स लिमिटेड को किराए पर दिया।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यूनिलीवर ने सार्वजनिक चाय की नीलामी से या सीधे चाय के निर्माताओं से 50 किलोग्राम बैग में विभिन्न गुणवत्ता की थोक 'चाय' खरीदी और उन्हें याचिकाकर्ता के गोदाम में संग्रहीत किया। खरीदी गई चाय की पत्तियां आम तौर पर उनकी खरीद से पहले मानक प्रक्रियाओं से गुजरती हैं।

याचिकाकर्ता ने अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग को दिए अपने आवेदन में दावा किया कि चाय के भंडारण को अधिसूचना संख्या 12/2017-केंद्रीय कर (दर) के क्रम संख्या 54 (ई) के तहत छूट दी गई है।

एएआर ने 23 मई, 2018 के अपने आदेश में याचिकाकर्ता द्वारा पूछे गए सवाल का नकारात्मक और याचिकाकर्ता के खिलाफ जवाब दिया।

एएआर द्वारा पारित आदेश से व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने सीजीएसटी अधिनियम/एमजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 101 के तहत दायर अपील में एएएआर से संपर्क किया। एएएआर ने अपने आदेश से याचिकाकर्ता की अपील खारिज कर दी।

निर्धारिती ने तर्क दिया कि एएआर को यह मानना चाहिए कि चाय कृषि उत्पाद है। इसलिए सर्विस टैक्स के भुगतान से छूट के उद्देश्य से इसे उक्त 2017 अधिसूचना में निहित शीर्षक 9986 क्रम संख्या 54 के तहत कवर किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता के गोदाम में संग्रहीत चाय के साथ की गई सभी गतिविधियों और प्रक्रियाओं ने इसकी आवश्यक विशेषताओं में कोई बदलाव नहीं किया, जिससे इसे प्राथमिक बाजार के लिए विपणन योग्य बनाया जा सके।

विभाग ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के गोदाम में संग्रहीत चाय 2017 की अधिसूचना के क्लॉज 2 (डी) में परिभाषित 'कृषि उपज' की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आती है, क्योंकि गोदाम में ही चाय की आगे की प्रक्रिया होती है। अर्थात्, सम्मिश्रण आदि की प्रक्रिया द्वारा, जैसा कि याचिकाकर्ता ने बताया है; इसलिए अंतिम उत्पाद, अर्थात् चाय, जिसे निर्यात किया जाना है, उसको 2017 की अधिसूचना के तहत किसी भी छूट के उद्देश्य से कृषि उपज नहीं कहा जा सकता है।

अदालत ने कहा कि चाय की 'कृषि उपज' होने की अनिवार्य विशेषता केवल प्रसंस्करण और किसी भी रूप में पैकिंग से समाप्त नहीं होगी। एएएआर ने कानून के उन सिद्धांतों को लागू करके एएआर के निर्णय पर भी विचार नहीं किया है, जिन्हें लागू करना अनिवार्य है।

अदालत ने माना कि जब कानून में कोई त्रुटि हो और जब यह स्पष्ट हो तो सर्टिओरीरी रिट जारी की जा सकती है, भले ही नीचे के अधिकारियों ने किसी भी तरह से अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन नहीं किया हो।

याचिकाकर्ता के वकील: श्रीराम श्रीधरन और प्रतिवादी के वकील: करण आदिक

केस टाइटल: नूतन वेयरहाउसिंग कंपनी प्रा. लिमिटेड बनाम आयुक्त

केस नंबर: रिट याचिका नंबर 12775 ऑफ 2019

आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें




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