सनातन धर्म के खिलाफ टिप्पणी के लिए डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन और ए राजा के खिलाफ एफआईआर की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका
तमिलनाडु के मंत्री और डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन के 'सनातन धर्म' के खिलाफ दिए गए हालिया बयानों के लिए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर की गई है।
याचिका में घृणा भाषण मामलों में स्वत: संज्ञान लेते हुए एफआईआर दर्ज करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन नहीं करने के लिए दिल्ली पुलिस और चेन्नई पुलिस के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की भी मांग की गई है।
याचिका में स्टालिन के खिलाफ 'धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, हिंदू धर्म के अनुयायियों का अपमान करने और धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी भड़काने' के लिए एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। यह तर्क दिया गया है कि बयान भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए, 153बी, 295ए और 505 के तहत दंडनीय अपराध हैं।
याचिका में सनातन धर्म के खिलाफ टिप्पणी के लिए तमिलनाडु के सांसद और पूर्व कैबिनेट मंत्री ए राजा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी मांग की गई है। राजा ने गुरुवार (07.09.2023) को सनातन धर्म की तुलना एचआईवी और कुष्ठ रोग जैसी बीमारियों से की थी।
याचिका वकील विनीत जिंदल ने दायर की है, जिन्होंने याचिका में कहा कि एक हिंदू और सनातन धर्म का अनुयायी होने के नाते, उदयनिधि स्टालिन द्वारा दिए गए बयानों से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। आवेदक का आरोप है कि उदयनिधि स्टालिन का सनातन धर्म को खत्म करने का आह्वान करना और सनातन टीपी मच्छरों, डेंगू, कोरोना और मलेरिया की तुलना करना नफरत फैलाने वाला भाषण है।
शाहीन अब्दुल्ला बनाम भारत संघ के मामले में जिंदल द्वारा आवेदन दायर किए गए हैं, जिसमें नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। जिंदल ने एक आवेदन खुद को मामले में एक पक्षकार के रूप में शामिल करने के लिए दायर किया है और दूसरे आवेदन में डीएमके नेताओं के खिलाफ एफआईआर के लिए निर्देश देने की मांग की है।