'बिस्तर पर पड़े और चलने-फिरने में शारीरिक रूप से असमर्थ लोगों को किए गए वैक्सीनेशन के बारे में एक हलफनामा दाखिल करें': बॉम्बे हाईकोर्ट ने ग्रेटर मुंबई नगर निगम से कहा

Update: 2021-08-07 08:47 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को बृहन्मुंबई महानगरपालिका से कहा कि बिस्तर पर पड़े और चलने-फिरने में शारीरिक रूप से असमर्थ लोगों को किए गए वैक्सीनेशन के बारे में एक हलफनामा दाखिल करें।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ ने "बिस्तर पर पड़ें और चलने-फिरने में शारीरिक रूप से असमर्थ लोगों के लिए COVID -19 टीकाकरण के लिए राज्य नीति" को ध्यान में रखते हुए यह आदेश दिया।

राज्य सरकार द्वारा न्यायालय के समक्ष यह प्रस्तुत किया गया कि बृहन्मुंबई नगर निगम द्वारा बिस्तर पर पड़े और चलने-फिरने में शारीरिक रूप से असमर्थ लोगों को टीकाकरण करने के लिए इस तरह का अभियान शुरू किया है और आज तक किसी भी प्रतिकूल घटना की सूचना नहीं मिली है।

नगर निगम ने प्रस्तुत किया कि होम वैक्सीनेशन के लिए पंजीकृत 4715 नागरिकों में से 602 को अभी सफलतापूर्वक टीका लगाया जा चुका है।

याचिकाकर्ता ने महत्वपूर्ण रूप से व्यक्तिगत रूप से कुछ क्षेत्रों को न्यायालय के ध्यान में लाया जिनमें सुधार की आवश्यकता है। उसने प्रस्तुत किया कि यह संभावना नहीं है कि निजी डॉक्टर यह प्रमाणित करने के लिए अनिच्छुक हो सकते हैं कि कोई व्यक्ति टीकाकरण के लिए उपयुक्त है या वह टीकाकरण (एईएफआई) के बाद प्रतिकूल प्रभाव का शिकार नहीं हो सकता है।

याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि एक वैकल्पिक विकल्प के रूप में नीति को नगर निगम के डॉक्टरों को संबंधित व्यक्ति की शारीरिक स्थिति की जांच के बाद प्रमाणित करने की अनुमति देनी चाहिए।

याचिकाकर्ता ने इसके अलावा मीडिया द्वारा रिपोर्ट किए गए टीकाकरण अभियान में गैर-सरकारी संगठनों की भागीदारी के बारे में आपत्ति व्यक्त करते हुए गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका के बारे में नगर निगम से स्पष्टीकरण मांगा।

अदालत ने याचिकाकर्ता की दलील सुनने के बाद राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता की दलीलों पर विचार करें और उचित पाए जाने पर उसे लागू करें।

कोर्ट ने अंत में नगर निगम को निर्देश दिया कि,

"एक छोटा हलफनामा दाखिल किया जाए, जिसमें बताया जाए कि ड्राइव शुरू होने के बाद से बिस्तर पर पड़े और चलने-फिरने में शारीरिक रूप से असमर्थ कितने लोगों का टीकाकरण किया गया है और क्या एईएफआई को किसी व्यक्ति ने महसूस किया है। नगर निगम अपने हलफनामे में इस तरह के ड्राइव में गैर- सरकारी संगठनों की सटीक भूमिका का भी संकेत देगा।

कोर्ट ने 11 अगस्त तक इस तरह का हलफनामा मांगा है और मामले को 12 अगस्त के लिए सूचीबद्ध किया है।

केस का शीर्षक - धृति कपाड़िया एंड अन्य बनाम भारत संघ एंड अन्य

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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