'सीनियर सिटीजन एक्ट, 2007' के उचित कार्यान्वयन के लिए उठाए गए/प्रस्तावित कदम के बारे में बताएं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ एडीएम से हलफनामा मांगा
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, लखनऊ को तीन सप्ताह के भीतर माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007 के उचित कार्यान्वयन के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस श्री प्रकाश सिंह की पीठ ने लखनऊ जिले में "वरिष्ठ नागरिक अधिनियम, 2007" और उसके तहत बनाए गए नियमों के कार्यान्वयन में कथित कमी के बारे में चिंता व्यक्त करने के कुछ दिनों बाद दिया।
अदालत अनिवार्य रूप से माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियमों के उचित कार्यान्वयन के संबंध में एक ज्योति राजपूत द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में लावारिस, बीमार और परित्यक्त वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं के बारे में भी चिंता जताई गई है।
याचिका में अंजलि देवी नाम की एक बूढ़ी महिला के लिए भी राहत की मांग की गई थी, जिसे छोड़ दिया गया था। हालांकि, अदालत के आदेश के बाद, अधिकारियों ने उसे राज्य द्वारा संचालित वृद्धाश्रम में स्थानांतरित कर दिया।
अब 23 अगस्त को जब न्यायालय को सूचित किया गया कि उक्त अधिनियम और उसके अधीन बनाए गए नियमों के उचित क्रियान्वयन के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं, तो न्यायालय ने पूर्वोक्त के रूप में हलफनामा मांगा और आगे निर्देश दिया कि हलफनामा अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, लखनऊ द्वारा और अन्य दो अधिकारियों अर्थात् जिला समाज कल्याण अधिकारी, लखनऊ और जिला परिवीक्षा अधिकारी, लखनऊ के परामर्श से तैयार किया जाएगा।
इसके अलावा, कोर्ट ने राज्य द्वारा संचालित वृद्धाश्रम की स्थिति को दर्शाते हुए एक हलफनामा भी मांगा है। इसके साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया कि एक रिपोर्ट जिला कल्याण अधिकारी, लखनऊ द्वारा प्रस्तुत की जाए।
कोर्ट ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 13 सितंबर 2022 को पोस्ट किया।
केस टाइटल - ज्योति राजपूत बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. एंड अन्य
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