'धूम्रपान COVID-19 से बचाता है; धूम्रपान करने वालों को कोरोना वायरस से कोई खतरा नहीं': तंबाकू व्यापारियों ने बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष दावा किया

Update: 2021-06-30 05:19 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट यह तय करने के लिए एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था कि धूम्रपान करने वालों को COVID-19 से संबंधित बीमारी होने का खतरा है या नहीं और सरकार को इसके अनुसार आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ ने मंगलवार को मुंबई बीड़ी तंबाखू व्यापारी संघ (एमबीटीवीएस) और फेडरेशन ऑफ रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा दायर दो अंतरिम आवेदनों को अनुमति दी, जिससे उन्हें कार्यवाही में हस्तक्षेप करने की अनुमति मिली।

मुंबई बीड़ी-तंबाखू व्यापारी संघ (एमबीटीवीएस) ने मीडिया रिपोर्टों और शोध अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा कि धूम्रपान COVID -19 को रोकने और राहत देने में मदद करता है और अध्ययनों ने धूम्रपान और COVID -19 के बीच किसी भी संबंध को नकार दिया है। इसके अलावा अध्ययन COVID-19 संक्रमण के खिलाफ संभावित लड़ने के लिए एजेंट के रूप में निकोटीन का सुझाव देते हैं।

पीठ महाराष्ट्र में COVID-19 प्रबंधन पर अधिवक्ता स्नेहा मरजादी द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने कहा कि राज्य ने अभी तक धूम्रपान पर प्रतिबंध के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया है। हालांकि उन्होंने टाटा मेमोरियल सेंटर के निदेशक डॉ राजेंद्र बडवे की एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें दुनिया भर में शोध के आधार पर धूम्रपान से COVID-19 होने के खतरे को दर्शाया गया है।

एडवोकेट कुंभकोनी ने कहा कि मुंबई बीड़ी-तंबाखू व्यापारी संघ ने प्रतिकूल आदेशों के डर से हस्तक्षेप आवेदन दायर किया, लेकिन राज्य ने अभी तक उस पहलू पर फैसला नहीं किया है।

फेडरेशन ऑफ रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के वरिष्ठ अधिवक्ता रवि कदम ने काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च की रिपोर्ट पर भरोसा करते हुए कहा कि धूम्रपान का COVID-19 रोगियों पर बहुत कम या कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

एडवोकेट कदम ने कहा कि,

"धूम्रपान अच्छा है या बुरा, इस पर कोई विवाद नहीं है। विवाद यह है कि सिगरेट पीने वालों को COVID -19 होने का अधिक खतरा है। सीएसआईआर अखिल भारतीय अध्ययन कहता है कि यह फेफड़ों में बलगम के अधिक उत्पादन के कारण नहीं हैं।

एडवोकेट कदम ने आगे कहा कि आश्चर्यजनक रूप से अमेरिका, फ्रांस, चीन और इटली सहित दुनिया भर में कई अध्ययन समान राय रखते हैं। शुरुआत में अदालत ने सीएसआईआर अधिकारियों की योग्यता पर सवाल उठाया, लेकिन कदम ने स्पष्ट किया कि अध्ययन में डॉक्टर शामिल हैं।

सीजे ने पूछा कि क्या संघों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील धूम्रपान करते हैं। जवाब आया- 'नहीं'।

सीजे ने कहा कि अगर एक धूम्रपान करने वाला वरिष्ठ अधिवक्ता सबूत और दृढ़ विश्वास के साथ संघों के लिए तर्क देता तो वह इसकी सराहना करते।

पीठ ने आगे कहा कि,

"एडवोकेट सीतलवाड़ और एडवोकेट कदम को सुनने के बाद हम संबंधित आवेदकों को इस जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने की अनुमति देते हैं। हस्तक्षेप के लिए अंतरिम आवेदनों को अनुमति दी जाती है।"

पीठ ने कहा कि वह मामले की सुनवाई 30 जून को करेगी।

[स्नेहा मरजादी बनाम महाराष्ट्र राज्य]

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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