आईटी नियम, 2021 के भाग III के तहत गूगल जैसे सर्च इंजन 'प्रकाशक' नहीं: केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया
केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के भाग III के तहत गूगल (Google) जैसे सर्च इंजन 'प्रकाशक' हैं।
नियमों की धारा 2(एस) एक प्रकाशक को "समाचार और समसामयिक मामलों की सामग्री के प्रकाशक या ऑनलाइन क्यूरेट की गई सामग्री के प्रकाशक" के रूप में परिभाषित करती है।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय के माध्यम से केंद्र ने सीबीएसई के अधिकारी द्वारा दायर एक याचिका में एक जवाबी हलफनामा दायर किया है, जिसमें कथित नेट उत्तर पत्रक घोटाला (NET answer sheet Scam) मामले के संबंध में वर्ष 2017 में सीबीआई द्वारा अधिकारियों की कोई आपराधिक संलिप्तता नहीं पाए जाने पर प्रकाशित विभिन्न लिंक और समाचारों को हटाने की मांग की गई थी।
हलफनामे में लिखा है,
"यह आगे प्रस्तुत किया गया है कि गूगल जैसे विभिन्न सर्च इंजन सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के भाग- III के तहत 'प्रकाशक' की परिभाषा के भीतर प्रकाशक नहीं हैं।"
पक्षकारों के समूह से इसे हटाने की मांग करते हुए यह प्रस्तुत किया गया है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय के स्थान पर, याचिकाकर्ता को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को प्रतिवादी बनाना चाहिए क्योंकि मामला उसके अधिकार क्षेत्र में आता है।
हलफनामे में कहा गया है,
"गूगल आदि जैसे सर्च इंजन इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के दायरे में आते हैं और सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 और सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के भाग II के प्रावधानों द्वारा शासित होते हैं।"
इसके अलावा सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने प्रस्तुत किया है कि यह प्रशासनिक रूप से डिजिटल समाचार प्रकाशकों की सामग्री और ऑनलाइन क्यूरेटेड सामग्री (ओटीटी प्लेटफॉर्म) की विषय-वस्तु से संबंधित है, जो नियमों के भाग- III के तहत आता है, जो डिजिटल मीडिया, ओटीटी प्लेटफॉर्म और डिजिटल मीडिया बिचौलियों पर समाचार और समसामयिक मामलों की सामग्री को विनियमित करने के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित करता है।
इस पृष्ठभूमि में, हलफनामे में लिखा है,
"यह प्रस्तुत किया जाता है कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत अर्थात विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों से एफआईआर संख्या 2172017ए0008 दिनांक 23/05/2017 से संबंधित कुछ समाचारों को हटाना उत्तर देने वाले प्रतिवादी के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।"
वर्तमान में सीबीएसई, शिक्षा मंत्रालय के निदेशक (आईटी और परियोजनाओं) के रूप में कार्यरत अंतरिक्ष जौहरी द्वारा याचिका दायर की गई है, जिसमें दावा किया गया है कि "गैर-जिम्मेदार और अनुचित रिपोर्टिंग" के कारण उनकी प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुंचा है।
यह याचिका एडवोकेट अनुजा सक्सेना और एडवोकेट योगेश भारद्वाज के माध्यम से दायर की गई है।
याचिकाकर्ता का यह मामला है कि संबंधित प्राथमिकी में जांच के बाद सीबीआई ने संबंधित अदालत के समक्ष क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी क्योंकि उसे उसके या अन्य अधिकारियों के खिलाफ कोई आपराधिकता या भ्रष्टाचार नहीं मिला था।
विशेष न्यायाधीश ने दिनांक 25/11/2019 के निर्णय द्वारा क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और सीबीआई की टिप्पणियों से सहमत हुए कि उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है।
इसमें कहा गया है कि जब भी याचिकाकर्ता गूगल इंडिया के अधिकारियों से अनुरोध करता है, तो वे उसके पक्ष में एक आदेश प्राप्त करने और उनके लिए कोई भी कदम उठाने के लिए आवश्यक निर्देश देने पर जोर देते हैं।
लिंक को हटाने की प्रार्थना के अलावा, याचिका में प्रतिवादियों को 2019 के फैसले के बारे में समाचार प्रकाशित करने के निर्देश देने की भी प्रार्थना की गई है जिसमें विशेष न्यायाधीश ने सीबीआई द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है।
केस का शीर्षक: अंतरिक्ष जौहरी बनाम भारत संघ एंड अन्य